Sunderkand: पढ़िए सुंदरकांड से जुड़ी विशेष बातें, जानिए क्यों किया जाता है इसका पाठ
Sunderkand: सुन्दर कांड के पाठ से महावीर हनुमान अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते है। इस पाठ से बजरंग बलि की कृपा शीध्र ही मिलती है। जो लोग नियमित रूप से सुन्दर कांड करते है उनके घर में सदा समृद्धि बनी रहती है।
By Arvind Dubey
Edited By: Arvind Dubey
Publish Date: Tue, 15 Nov 2022 10:10:22 AM (IST)
Updated Date: Tue, 15 Nov 2022 10:10:22 AM (IST)

Sunderkand: हम बचपन से ही रामायण सुनते-देखते आ रहे हैं, हर वर्ष हमारे गांव और नगरों में दशहरे के अवसर पर रामलीला का आयोजन होता है। रामायण की पूरी कथा बहुत सुन्दर है। वहीं, गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा रचित सुन्दर कांड का वर्णन रामायण की कथा को अत्यधिक सुन्दर और मनभावन बना देता है।
सुन्दर कांड में श्रीराम के परम प्रिय भक्त हनुमान जी की लीलाओं का वर्णन किया गया है उनके द्वारा की गई अद्भुत और अचंभित लीलाओं के कारण ही गोस्वामी तुलसीदास ने इसे सुन्दर कांड का नाम दिया। सुन्दरकाण्ड में राजनीति, ज्ञान, कर्म और भक्ति इत्यादि का सुन्दर दर्शन है।आइये जानते सुन्दर कांड से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण ज्ञान की बातें...
हिन्दू धर्म में शुभ अवसरों व कार्यो में गोस्वमी तुलसीदास के द्वारा रचित सुन्दर कांड का पाठ कराने का प्रावधान है, शुभ कार्यो को आरम्भ करने के लिए सर्वप्रथम सुन्दर कांड के पाठ का विशेष महत्व माना जाता है। कहा गया है की सुन्दर कांड के पाठ कराने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है तथा आत्मा शांति के साथ ही घर में सुख समृद्धि आती है। यदि किसी के घर में अनेक कठिनाइयां या परस्थितियां बहुत कठिन चल रही है तो वह सुन्दर कांड के पाठ द्वारा इन परिस्थितियों से पार पा सकता है। यहां तक की ज्योतिष भी इस तरह की समस्याओं से मुक्ति के लिए सुन्दर कांड पाठ करने की सलाह देते हैं।
सुन्दरकाण्ड का पाठ क्यों किया जाता है?
सुन्दर कांड के पाठ से महावीर हनुमान अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते है। इस पाठ से बजरंग बलि की कृपा शीध्र ही मिलती है। जो लोग नियमित रूप से सुन्दर कांड करते है उनके घर में सदा समृद्धि बनी रहती है तथा उन्हें किसी भी प्रकार का दुःख नहीं आता है। सुन्दर कांड में हनुमानजी ने अपने बल और बुद्धि से माता सीता की खोज की थी। अतः यह पाठ हनुमान जी की सफलता को दर्शाता है और उनके भक्तों को प्रेरित करता है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में हनुमानजी की कृपा प्राप्त करने के लिए अनेक उपाय सुझाये गए है। इन सभी उपयो में से विशेष है सुन्दर कांड का पाठ क्योंकि इसके द्वारा न केवल हनुमान जी प्रसन्न होते है बल्कि प्रभु श्रीराम जी की कृपा भी प्राप्त होती है। किसी भी प्रकार का दुःख पीड़ा हो सुन्दरकाण्ड के पाठ सें दूर होती हैं, यह एक श्रेष्ठ और सरल उपाय है। इसी कारण सें बहुत लोग सुन्दरकाण्ड का पाठ नियमित रूप सें करते हैं।
हनुमानजी जो कि वानर रूप में थें, वे समुद्र को लांघकर लंका पहुंच गए वहां सीता की खोज की लंका को भस्म किया माता सीता का संदेश लेकर प्रभु श्रीराम के पास आए। ये एक भक्त की विजय का काण्ड हैं, जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है, सुन्दरकाण्ड में जीवन की सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी दिए गए हैं। इसलिए पूरी रामायण में सुन्दरकाण्ड को सबसें श्रेष्ठ माना जाता है।सुन्दरकाण्ड के पाठ द्वारा समस्त मनवांछित फल प्राप्त होते हैं।
सुन्दर कांड का मनोवैज्ञानिक लाभ
श्रीरामचरितमानस सुन्दरकाण्ड सबसे अलग हैं, संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरूषार्थ को दर्शाती हैं, सुन्दरकाण्ड एकमात्र ऐसा अध्याय हैं जो भक्त सिरोमणि हनुमानजी की विजय का काण्ड हैं। मनोवैज्ञानिक द्रष्टिकोण सें देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला अध्याय है। सुन्दरकाण्ड कें पाठ सें व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती हैं, किसी भी कार्य को पुर्ण करनें कें लिए आत्मविश्वास मिलता है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने
रामचरित्रमानस के इस अध्याय का नाम सुन्दरकाण्ड क्यों रखा?
महाबलि हनुमानजी माता सीता की खोज में लंका गए तथा वहा अशोक वटिका के एक वृक्ष के नीचे उन्हें माता सीता मिली अशोक वाटिका में हनुमान जी द्वारा रची गई अनोखी व अद्भुत लीला के कारण गोस्वामी तुलसीदास ने उनकी लीलाओ को सुन्दरकाण्ड का नाम दिया।
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