धर्म डेस्क: अनंत चतुर्दशी 2025 (Anant Chaturdashi 2025) का पर्व 6 सितंबर को पूरे देश में धूमधाम और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। यह पर्व गणेश चतुर्थी के 10 दिवसीय उत्सव का अंतिम दिन होता है और इसी दिन गणपति विसर्जन भी किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप और गणपति बप्पा की पूजा करने से सभी दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
सुबह स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा का संकल्प लें। एक चौकी पर विष्णु प्रतिमा स्थापित करें और उसके पास कलश रखें जिस पर स्वास्तिक बनाएं। पूजा में अनंत सूत्र का विशेष महत्व है, इसे भगवान के चरणों में अर्पित करें। पीले फूल, तुलसी दल, चंदन, फल और मिठाई चढ़ाएं। इसके बाद "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें और अंत में आरती करें।
प्रातः मुहूर्त: सुबह 07:36 से 09:10 बजे तक
मध्यकाल मुहूर्त: दोपहर 12:17 से शाम 04:59 बजे तक
सायाह्न मुहूर्त (लाभ): शाम 06:37 से रात 08:02 बजे तक
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चर): रात 09:28 से 01:45 (7 सितंबर)
उषाकाल मुहूर्त (लाभ): सुबह 04:36 से 06:02 बजे तक (7 सितंबर)
विसर्जन से पहले बप्पा की अंतिम पूजा करें। मोदक, लड्डू और फूल अर्पित करें। परिवार के साथ आरती करें और क्षमा प्रार्थना करें। "गणपति बप्पा मोरया" बोलते हुए बप्पा की प्रतिमा को श्रद्धापूर्वक जल में विसर्जित करें।
"ॐ अनंताय नमः"
"वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥"