धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार 7 सितंबर 2025, रविवार को भाद्रपद पूर्णिमा है। इस दिन साल का दूसरा चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2025) लगने वाला है, जो भारत में दिखाई देगा। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार ग्रहण से ठीक तीन प्रहर पहले से सूतक काल शुरू हो जाता है, जिसमें कई नियमों का पालन जरूरी होता है।
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि चंद्र ग्रहण के समय राहु का प्रभाव पृथ्वी पर अधिक हो जाता है। इस कारण नकारात्मक शक्तियां सक्रिय रहती हैं। यही वजह है कि इस अवधि में शुभ कार्य करने और अशुभ स्थलों पर जाने की मनाही की जाती है। नियमों की अनदेखी करने से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
ग्रहण काल में नुकीली वस्तुएं जैसे चाकू, नेल कटर, सेफ्टी पिन आदि पास रखने से बचना चाहिए। राहु के प्रभाव से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। साथ ही शास्त्रों के अनुसार इस समय देवी-देवताओं की प्रतिमा, तुलसी, पीपल और बरगद के पेड़ का स्पर्श भी वर्जित माना गया है।
चंद्र ग्रहण के दिन या उसके दौरान नकारात्मक जगहों पर जाना हानिकारक हो सकता है। ऐसा करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। इसी तरह, किसी से बहस या झगड़ा भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह परिवारिक और व्यक्तिगत जीवन में कलह बढ़ा सकता है।
ग्रहण काल में तामसिक भोजन का सेवन वर्जित है। इसके अलावा ब्रह्मचर्य नियम का उल्लंघन भी अशुभ परिणाम देता है। ऐसा करने से व्यक्ति पर दैवीय कृपा कम हो जाती है और भविष्य में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। शांति, संयम और सकारात्मकता बनाए रखना सबसे शुभ माना गया है।
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