Ashad Gupt Navratri 2025: इस बार पालकी में सवार होकर आई हैं मां दुर्गा… तैयार हो जाएं भारी बारिश, जल प्रकोप, प्राकृतिक आपदा के लिए
Ashad Gupt Navratri 2025: गुप्त नवरात्र पर्व श्रद्धालुओं के लिए संयम और साधना का समय है। व्रती इन नौ दिनों में फलाहार या निराहार रहकर पूजा करते हैं। कलश स्थापना, देवी पाठ, सप्तशती, हवन और कन्या पूजन जैसे अनुष्ठानों का पालन किया जाता है।
Publish Date: Fri, 27 Jun 2025 09:33:04 AM (IST)
Updated Date: Fri, 27 Jun 2025 09:33:04 AM (IST)
सनातन धर्म में गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व है। (फाइल फोटो)HighLights
- 26 जून से शुरू हुआ गुप्त नवरात्र पर्व
- 4 जुलाई तक चलेगा विशेष साधना पर्व
- तंत्र साधना के लिए महत्वपूर्ण समय
धर्म डेस्क, इंदौर (Ashad Gupt Navratri 2025)। आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र का विधिवत शुभारंभ गुरुवार से हो गया। विशेष साधना पर्व 4 जुलाई तक चलेगा। गुप्त नवरात्र के प्रथम दिन भक्तों ने अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना कर देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना की।
मान्यता है कि तंत्र साधना का विशेष काल गुप्त नवरात्र है। सनातन धर्म में अत्यंत गोपनीय और शक्तिसाधना से संबंधित पर्व है। रतनपुर, जो कि छत्तीसगढ़ के प्रमुख शक्तिपीठों में शामिल है, विशेष रूप से तांत्रिक साधकों का केंद्र है। भैरव बाबा मंदिर में रात में विशेष पूजन, चंडीपाठ और तांत्रिक विधियों से अनुष्ठान जारी है।
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पालकी में सवार होकर माता का आना क्या संकेत देता है
- महंत प़ं जागेश्वर अवस्थी ने बताया कि पूजा देवी की नौ गुप्त स्वरूपों की आराधना के लिए सर्वोत्तम होता है। सिद्धि प्राप्ति के लिए विशेष अनुष्ठान हर दिन आयोजित किए जा रहे हैं। पालकी में माता का आगमन संभावित असंतुलन का संकेत है।
- इस वर्ष देवी दुर्गा का आगमन पालकी (डोली) में हुआ है, जिसे धार्मिक परंपराओं में एक चेतावनी सूचक संकेत माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार जब देवी पालकी में आती हैं, तो यह वर्षा अधिक होने, जल प्रकोप अथवा प्राकृतिक आपदा का संकेत देता है।
पालकी में माता का आगमन विशेष ध्यान देने योग्य स्थिति है। यह दर्शाता है कि प्रकृति संतुलन की ओर संकेत दे रही है। अतः श्रद्धालु केवल पूजा में नहीं, बल्कि सजगता में भी शामिल हो।
यह काल विशेष रूप से तांत्रिक उपासकों, गुप्त साधकों और सिद्धि प्राप्ति के आकांक्षियों के लिए अनुकूल माना गया है। इस अवस पर उन्होंने बताया कि गुप्त नवरात्र की प्रमुख तिथिया में 27 जून से तीन जुलाईदेवी के नौ गुप्त स्वरूपों की उपासना, चंडीपाठ, तांत्रिक पूजन, 4 जुलाई को नवमी, हवन, कन्या पूजन, पूर्णाहुति दी जाएगी। यहां भी क्लिक करें - गुप्त नवरात्र पर पीतांबरा शक्तिपीठ मां बगलामुखी मंदिर में उमड़े श्रद्धालु, दो राज्यों के नेता भी पूजन में हुए शामिल
प्रथम दिन ज्योतिकलश की गई प्रज्वलित
आषाढ़ गुप्त नवरात्र पर सभी प्रमुख माता मंदिरों में प्रथम दिन शुभ मुहुर्त में ज्योतिकलश प्रज्वलित कर पूजा अर्चना की गई। आचार्य ने इससे पूर्व रात्रि में माता की दिव्य श्रृंगार किया। मान्यता है कि यह श्रृंगार प्रतिदिन नवमी तक किया जाएगा।
प्रत्येक वर्ष चार नवरात्र होता है इसमें दो प्रकट और दो गुप्त है। माता मंदिरों में गुप्त नवरात्र में भी मां की विशेष पूजा नौ दिनों तक की जाती है। अष्टमी को हवन और कन्या पूजन के साथ नवमी को शांति पुष्पांजलि और विसर्जन होगा।