धर्म डेस्क, इंदौर: अनादिकालीन सनातन वैदिक परम्परा के अनुसार वर्ष की चार ऋतुओं के परिवर्तन काल मे चार नवरात्र पड़ती हैं। इनमें बासन्तेय और शारदीय नवरात्र प्रकट होती हैं, तो माघ व आषाढ़ माह की नवरात्र गुप्त होती हैं। इस बार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र (Aashadh Gupt Navratri) का शुभारंभ गुरुवार से हो रहा है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ दुबे ने बताया कि गुप्त नवरात्र में साधक साधना करने गुप्त स्थान पर जाएंगे। अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिये अनेक प्रकार के उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना आदि करेंगे। आषाढ़ मास की नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव व शक्ति की उपासना की जाती है।
जबकि चैत्र व शारदीय नवरात्र में सार्वजिनक रूप से माता की भक्ति करने का विधान है। माघ मास की गुप्त नवरात्र में वामाचार पद्धति को अधिक मान्यता नहीं दी गई है, जबकि आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र में वामाचार उपासना की जाती है।
गुप्त नवरात्र में तंत्र साधना व गुप्त आराधना करने वाले लोग देवी की दस महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए तारा देवी,मां काली, भुवनेश्वरी, त्रिपुर सुंदरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माता बगलामुखी, मातंगी, मां धूमावती और कमला देवी की पूजा-उपासना करेंगे। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री राम ने अपनी खोयी हुयी शक्तियों को पाने के लिए माघ मास की गुप्त नवरात्र में ही साधना की थी।
बूढ़ी खेरमाई शक्तिपीठ के आचार्य सौरभ दुबे ने बताया कि सनातन परंपरा में गुप्त नवरात्र की साधना का विशेष महत्व है। यह शक्ति के साधकों के लिए विशेष फलदायक है। सामान्य नवरात्र में आमतौर पर सात्विक और तांत्रिक दोनों तरह की पूजा की जाती है। वहीं गुप्त नवरात्र में ज्यादातर तांत्रिक पूजा ही की जाती है। आमतौर पर इस पूजा का प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता।
बगलामुखी मठ के मुख्य पुजारी ब्रह्मचारी चैतन्यानन्द के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की गुप्त नवरात्र का विशेष आध्यात्मिक महत्व है। इस वर्ष पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में बेकसूर नागरिकों की जान गईं। घिनौने आतंकवाद की पूर्णतः समाप्ति के लिए गुप्त नवरात्र पर हर दिन बगलामुखी माता की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी।