Gupt Navratri Start: सर्वार्थ सिद्धि योग में आज से आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र का आरंभ, इस बार पूरे नौ दिन का रहेगा देवी आराधना का पर्व काल
Gupt Navratri Start: सनातन धर्म में गुप्त नवरात्र का विशेष महत्व है। इस दौरान सिद्धियां प्राप्त करने के लिए गुप्त साधना की जाती है। मध्य प्रदेश में उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया कि गुप्त नवरात्र में तंत्र, मंत्र व यंत्र की सिद्धि के लिए साधक गुप्त आराधना करते हैं।
Publish Date: Thu, 26 Jun 2025 07:48:36 AM (IST)
Updated Date: Thu, 26 Jun 2025 07:48:36 AM (IST)
मां दुर्गा मंदिर (फाइल फोटो)HighLights
- नौ दिन के नवरात्र में तीन सर्वार्थ सिद्धि तथा पांच रवि योग
- जब नवरात्र पूर्ण हो, तो यह विशेष बलशाली मानी जाती है
- नवरात्र की पूर्णाहुति 4 जुलाई को भड्डली नवमी के दिन होगी
धर्म डेस्क, इंदौर (Gupt Navratri Start)। पंचांग गणना के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा पर गुरुवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में गुप्त नवरात्र का आरंभ होगा। इस बार देवी आराधना का पर्वकाल पूरे नौ दिन (9 Days of Navratri) का रहेगा। धर्मशास्त्र के जानकारों के अनुसार, जब नवरात्र पूर्ण हो तथा किसी भी तिथि का कोई क्षय नहीं तो यह विशेष बलशाली व प्रभावकारी मानी जाती है।
विशिष्ट योगों की साक्षी से इसकी शुभता और बढ़ जाती है। इस बार नवरात्र में साधना, आराधना की दृष्टि से महत्वपूर्ण रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग का महासंयोग बन रहा है।
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सालभर में मनाई जाती है चार नवरात्र
- ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया, श्रीमद्देवीभागवत महापुराण के अनुसार देवी दुर्गा की साधना आराधना के लिए वर्ष भर में चार नवरात्र माने गए हैं। इनमें दो गुप्त तथा प्राकट्य नवरात्र हैं।
- चैत्र व अश्विन के नवरात्र को प्राकट्य तथा माघ व आषाढ़ मास के नवरात्र गुप्त नवरात्र कहा जाता है। देवी की आराधना के लिए चारों नवरात्र विशेष हैं। गुप्त नवरात्र में तंत्र, मंत्र व यंत्र की सिद्धि के लिए साधक गुप्त आराधना करते हैं।
उज्जैन आदि अनादि काल से शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां शक्तिपीठ हरसिद्धि, सिद्धपीठ गढ़कालिका, चौसठ योगिनी, नगरकोट माता, भूखी माता, चामुंडा माता सहित अन्य प्राचीन देवी मंदिर हैं। गुप्त नवरात्र में साधना व सिद्धि के लिए साधक यहां गुप्त साधना करेंगे। ![naidunia_image]()
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चातुर्मास से पहले शुभ कार्यों के लिए महत्वपूर्ण समय
26 जून को शुरू हो रहे आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र की पूर्णाहुति 4 जुलाई को भड्डली नवमी के दिन होगी। यह समय धर्म, अनुष्ठान व सिद्धि की प्राप्ति के लिए तो विशेष है ही, शुभ मांगलिक कार्यों के लिए भी विशेष है। क्योंकि इसमें पांच दिन रवियोग तथा तीन दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का महासंयोग बन रहा है।
इन योगों में की गई साधना आराधना तथा शुभ कार्य विशेष फल प्रदान करते हैं। इसलिए नवीन कार्यों के शुभारंभ, खरीदी, शादी, सगाई आदि में इनका लाभ लिया जा सकता है। क्योंकि नवरात्र के बाद 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का शुभारंभ हो जाएगा। इसके बाद शुभ, मांगलिक कार्यों के लिए चार माह का इंतजार करना पड़ेगा।
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सर्वार्थ सिद्धि व रवि योग कब-कब
- 26 जून : सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 8.48 से 27 जून सुबह 7.22 तक
- 28 जून : रवि योग सुबह 6.30 से 29 जून सुबह 7 बजे तक
- 30 जून : रवि योग सुबह 7.30 से 1 जुलाई सुबह 9 बजे तक
- 2 जुलाई : सर्वार्थसिद्धि दिन में 11 से लेकर रात्रि पर्यंत
- 3 जुलाई : रवि योग दोपहर 2 बजे से रात्रि पर्यंत