
नईदुनिया प्रतिनिधि, शहडोल। छठपर्व की शनिवार को नहाय खाय से शुरुआत हो गई है। अब रविवार को खरना है यानी व्रती महिलाएं दिन भर निर्जला व्रत रखकर शाम को चावल से बनाई गई खीर का सेवन करेगीं। इसके बाद से उनका 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाएगा, जो 28 अक्टूबर की सुबह उगते हुए सूर्य की उपासना के साथ पूरा होगा। संतान एवं अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए यह छठपूजा होती है। उत्तर पूर्व भारतीय परिवारों में यह आयोजन पूरे विधि विधान से होता है।
इसको लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है। मोहन राम तालाब के घाट पर 400 से अधिक परिवारों के लिए 190 वेदियों के निर्माण किया गया है। इसके अलावा बड़ी भीठ में 200 परिवार व एमपीईव्ही कॉलोनी में 10 से अधिक परिवारों के लिए बेदी निर्माण सहित अन्य तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। तालाब के चारों तरफ साफ सफाई के साथ ही रंग रोगन का कार्य पूरा हो चुका है। मुख्य प्रसाद के लिए ठेकुआ बनकर तैयार हो गए हैं।
सूर्य उपासना के इस पर्व में काली व नरसिम्हा भगवान नृत्य मुख्य आकर्षण का केंद्र होगा। इसके लिए बाहर से कलाकार आएंगे। इस पर्व में लगभग 10 हजार लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। आज 26 अक्टूबर रविवार को छोटकी छठ मनाई जाएगी। 27 अक्टूबर सोमवार को ढलते सूर्यदेव को अर्घ्य देकर विधि विधान से पूजा अर्चना की जाएगी।
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इसके बाद 28 अक्टूबर की सुबह उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही पर्व का समापन होगा। उत्तर पूर्व भारतीय संघ के पदाधिकारियों ने मोहनराम तालाब मंदिर परिसर में चल रही तैयारियों का निरीक्षण किया। संघ के अध्यक्ष रविन्द्र प्रसाद ने बताया कि मोहनराम तालाब में मुख्य कार्यक्रम होगा।