नईदुनिया प्रतिनिधि, उज्जैन। चैत्र कृष्ण दशमी पर सोमवार को महिलाएं घर की दशा सुधारने के लिए दशा माता का पूजन कर रही हैं। इस दिन व्रत रखकर पीपल के वृक्ष का पूजन करने के उपरांत कथा श्रवण किया जाता है। महिलाएं कच्चे सूत के धागे में 10 गठान लगाने के बाद हल्दी में पीला करके स्वर्ण हार के रूप में धारण करती हैं।
मान्यता है कि इससे दुख, दारिद्रय का नाश होकर परिवार में सुख समृद्धि आती है। उज्जैन के ज्योतिर्विद पं.अमर डब्बावाला ने बताया कि हिंदू धर्म परंपरा में दशा माता व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत में महिलाएं दशा माता से दशविध लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं।
महिलाएं इस दिन व्रत और पूजन कर परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करती हैं। सोमवार को महिलाओं द्वारा दशा माता का व्रत कर पूजा-अर्चना की जा रही है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दशा माता व्रत चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा किया जाता है, जो अपने परिवार की सुख-समृद्धि और अनिष्ट ग्रहों की दशा को दूर करने के लिए इसे विधिपूर्वक करती हैं।
इस दिन महिलाएं पीपल वृक्ष की पूजा कर कच्चे सूत के धागे में गांठ लगाकर अर्पित करती हैं। इस धागे को विधिपूर्वक पूजन के बाद इसे माला की तरह गले में धारण किया जाता है।