धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गणेश चतुर्थी, जिस गणेश महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, यह सनातन धर्म के सबसे प्रमुख और पूजनीय त्योहारों में से एक है। यह बप्पा के जन्म का प्रतीक है। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान (Ganesh Chaturthi 2025) बप्पा की पूजा करने से सभी बाधाओं का नाश होता है, जो लोग इस व्रत का पालन करते हैं, उन्हें पवित्रता और कुछ पूजन नियमों का पालन भक्ति भाव के साथ करना चाहिए। इससे जीवन में समृद्धि आती है। इस साल गणेश महोत्सव की शुरुआत 27 अगस्त से हो रही है।
लेकिन क्या आपको पता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन की मनाही है? अगर गलती से देख भी लेते हैं, तो साधक पाप के भागी बनते हैं। तो आइए इसके पीछे की क्या वजह है? इसके बारे में जानते हैं -
गणेश पुराण के अनुसार, चिर काल में महर्षि नारद अपने आराध्य भगवान शिव से मिलने कैलाश पहुंचे। कुशलक्षेम पूछने के बाद उन्होंने भगवान शिव को एक दिव्य फल दिया और कहा कि जो आपको प्रिय है- उसे ही यह फल प्रदान करें। उस समय भगवान कार्तिकेय और गणेश दोनों ही शिवजी से दिव्य फल देने की मांग करने लगे। यह देख देवों के देव महादेव धर्म संकट में फंस गए।
दिव्य फल को लेकर उनके मन में यह दुविधा थी कि वह फल दोनों लड़कों (कार्तिकेय और गणेश जी) में किसे दें। यह जान उन्होंने सभी देवगणों को कैलाश पर बुलाया। उस समय भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश भी कैलाश पर मौजूद थे। तब भगवान शिव ने ब्रह्मा जी से पूछा-हे ब्रह्मदेव! आप परम ज्ञानी हैं।
आप ही बताएं कि यह फल किसे दिया जाए। दोनों ही दिव्य फल के हकदार हैं। मैं दुविधा में हूं और इस वजह से मेरे द्वारा कोई गलती न हो जाए। तब ब्रह्मा जी ने कहा कि यदि फल एक ही है, तो इस फल का हकदार कार्तिकेय हैं। बड़ा होने के चलते कार्तिकेय को ही यह दिव्य फल मिलना चाहिए।
यह सुनकर भगवान शिव ने तत्क्षण कार्तिकेय जी को दिव्य फल प्रदान कर दिया। यह देख भगवान गणेश रुष्ट हो गए। उन्होंने ब्रह्मा जी को सबक सीखने को सोच ली। सभा समाप्त होने के बाद सभी अपने लोक चले गए।
गणेश जी भी ब्रह्म लोक पहुंच गए और उग्र रूप में आकर ब्रह्मा जी के कार्य में विघ्न डालने लगे। यह देख चंद्र देव जोर-जोर से हंसने लगे। स्वयं का उपहास देख भगवान गणेश ने चंद्र देव को शाप दिया कि आज के बाद तुम किसी के देखने योग्य नहीं रहेगा। अगर कोई देख भी लेता है, तो वह पाप का भागी होगा। कालांतर में ऐसा ही हुआ। चंद्र देव का तेज खो गया।
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उस समय देवताओं ने भगवान गणेश की विशेष पूजा की। कठिन भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान गणेश ने दर्शन देकर कहा- मेरा वचन मिथ्या नहीं हो सकता। साल भर नहीं पर तुम एक दिन के लिए अवश्य ही शापित रहोगे। तुम गं मंत्र का जप करो। इससे तुम्हारा कल्याण होगा।
कालांतर में भगवान गणेश ने चंद्र देव को यह कहकर शाप मुक्त किया कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर तुम्हारा दर्शन करने वाला व्यक्ति पाप का भागी होगा। अन्य चतुर्थी पर बिना चंद्र दर्शन के व्रत पूरा नहीं होगा। इसके लिए भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर चंद्र दर्शन करने की मनाही है।
अगर आप गलती से गणेश चतुर्थी पर चांद देख लेते हैं, तो दोष से बचने के लिए आपको गणेश जी का व्रत रखना चाहिए। इसी के साथ जरूरतमंदों और गरीबों में अपनी क्षमता के अनुसार, फल या सोने-चांदी आदि का दान करें। इससे गणेश जी प्रसन्न होंगे और आप पर मिथ्या कलंक से बच जाएंगे।
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