धर्म डेस्क। रिद्धि और सिद्धि को भगवान गणेश (Lord Ganesha Marriage Riddhi Siddhi) की पत्नियों के रूप में जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश जी के दो विवाह एक श्राप की वजह से हुए थे? यह कथा न केवल रोचक है बल्कि कई पौराणिक ग्रंथों (Mythological Story) में इसका उल्लेख भी मिलता है।
पद्मपुराण और गणेश पुराण के अनुसार एक बार तुलसी जी ने गणेश जी को विवाह का प्रस्ताव दिया। लेकिन गणेश जी ने यह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया। इस पर तुलसी माता क्रोधित हो गईं और उन्होंने गणेश जी को श्राप दे दिया कि उनके दो विवाह होंगे।
इसके बदले में गणेश जी ने भी तुलसी माता को श्राप दिया कि उनका विवाह एक राक्षस से होगा। इसी श्राप के चलते गणेश जी का विवाह रिद्धि और सिद्धि नामक दो बहनों से हुआ।
गणेश पुराण के छठे अध्याय में उल्लेख है कि गणेश जी के लम्बोदर स्वरूप के कारण उनका विवाह नहीं हो पा रहा था। इस वजह से वे अन्य देवी-देवताओं के विवाह में विघ्न डालने लगे। सभी देवता इस समस्या से परेशान हो गए और उन्होंने ब्रह्मा जी से समाधान मांगा।
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ब्रह्मा जी ने अपनी पुत्रियों रिद्धि और सिद्धि को शिक्षा ग्रहण करने के लिए गणेश जी के पास भेजा। जब भी गणेश जी अन्य देवताओं के विवाह में विघ्न डालने जाते, रिद्धि-सिद्धि उन्हें अपने ज्ञान और गुणों से रोक लेतीं।
धीरे-धीरे सभी देवताओं के विवाह बिना किसी बाधा के सम्पन्न होने लगे। जब गणेश जी को इस बात का पता चला तो वे नाराज हुए। उसी समय ब्रह्मा जी प्रकट हुए और उन्होंने गणेश जी को अपनी दोनों पुत्रियों से विवाह करने का प्रस्ताव दिया। इस प्रकार गणेश जी का विवाह रिद्धि और सिद्धि से सम्पन्न हुआ।