धर्म डेस्क, नईदुनिया। गुरु को नमन करने का पर्व गुरु पूर्णिमा इस वर्ष 10 जुलाई के दिन मनाया जाएगा। जिन्होंने गुरु दीक्षा ली है, वो इस दिन अपने गुरुओं का पूजन करेंगे, लेकिन जिन्होंने गुरु दीक्षा नहीं ली या किसी को गुरु नहीं बनाया वो किसका पूजन करें। यह सवाल ज्यादातर लोगों के मन में रहता है। ऐसे में हम आपके लिए इस सवाल का जवान लेकर आए हैं। मान्यताओं के अनुसार बृहस्पति सभी देवताओं के गुरु हैं। ऐसे में जिनका कोई गुरु नहीं हो वो इनका पूजन कर सकते हैं।
कुछ लोग इस दिन अपने ईष्ट देवता को गुरु मानकर भी पूजन करते हैं। भगवान शिव, श्री कृष्ण,सूर्य देवता और भगवान हनुमान को भी भक्त गुरु मानकर पूजन करते हैं। बड़े बुजुर्गों और माता-पिता को भी गुरु का दर्जा दिया गया है। माता-पिता ही हमारे प्रथम गुरु होते हैं, इसलिए कुछ लोग इस दिन माता-पिता का पूजन भी करते हैं।
भगवान शिव सप्तऋषियों के गुरु रहे हैं, इसलिए उन्हें भी गुरु मानकार पूजन किया जाता है। भगवान कृष्ण को भी गुरु के रूप में पूजा जाता है, श्रीकृष्णाष्टकम् के श्लोक कृष्णं वंदे जगद्गुरुम् का अर्थ है कि मैं जगत के गुरु भगावान श्री कृष्ण को नमन करता हूं। भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध में अर्जुन को ज्ञान दिया था।
भगवान श्री गणेश प्रथम पूज्य है, कई भक्त इनका गुरु के रूप में पूजन करते हैं। इनके साथ भगवान सूर्य देव को साक्षात भगवान माना जाता है, जो सभी ग्रहों के राजा हैं। अगर आपके कोई गुरु नहीं हो तो इनका पूजन कर सकते हैं। भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमानजी की भी गुरु के रूप में पूजा की जाती है। वे चिंरजीवी हैं, जो हमेशा अपने भक्तों की मदद करते हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन गुरु पूर्णिमा व्रत का पालन किया जाता है। हिन्दू धर्म में पूर्णिमा तिथि को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। पं. सौरभ दुबे के अनुसार, मान्यता है कि पूर्णिमा पूजा-पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर गुरु पूर्णिमा व्रत का पालन किया जाता है। यह पर्व गुरु पूजन के लिए समर्पित है और इसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुरु पूर्णिमा के दिन स्नान-दान, पूजा-पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। पंचांग के अनुसार इस साल आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि नौ जुलाई को रात 12:49 बजे शुरू होगी और 10 जुलाई को रात एक बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी।
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का पूजन किया जाता है और इसलिए इस साल गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई को मनाई जाएगी। व्रत रखने वाले जातकों के लिए 10 जुलाई का दिन महत्वपूर्ण है। इस दिन स्नान व दान का विशेष महत्व माना गया है। कहते हैं कि इस दिन यदि गंगा में स्नान के बाद अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान किया जाए तो जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
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10 जुलाई को सुबह आठ बजकर 19 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। 10 जुलाई को गुरुयोग, ऐन्द्र योग, अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है जिसे बहुत ही शुभ माना जाता है।