मल्टीमीडिया डेस्क। हिंदुस्तान में बारह मास में बदलते मौसम की बहार रहती है। मौसम के बदलने से खान-पान और रहन-सहन भी बदलता है। भारतवर्ष में पंचाग के अनुसार छह मौसम होते हैं, जो वसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु और शिशिर ऋतु। इसमें हेमंत ऋतु में त्यौहारों की बहार रहती है और हेमंत ऋतु की शुरुआत के साथ हल्की गुलाबी ठंड प्रारंभ हो जाती है। इसके बाद कड़ाके की ठंड दस्तक देती है। ठंड जब अपने चरम पर होती है तो इस ऋतु को शिशिर ऋतु कहा जाता है। शरद, हेमंत और शिशिर पितृों की ऋतु है। शरद पूर्णिमा के बाद से हेमंत ऋतु का प्रारंभ होती है।
हेमंत ऋतु होता है त्यौहारों का मास
बारह मासों में से तीन मास कार्तिक, अगहन और पौष मास हेमंत ऋतु में आते हैं। इस ऋतु में कई शुभ तिथि और त्यौहार आते हैं। कार्तिक मास में करवा चौथ, धनतेरस, रूप चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे बड़े त्यौहार आते हैं। इस मास की पूर्णिमा का भी बड़ा महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा को पवित्र नदियों और सरोवरों में दीपदान किया जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है और चातुर्मास की समाप्ति पर तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है। इसी मास को बैकुंठ चतुर्दशी तिथि आती है। इस दिन हर अर्थात महादेव हरी अर्थात भगवान विष्णु को सृष्टि का राजपाठ सौंपते हैं।
इसी तरह हेमंत ऋतु के दूसरे मास मार्गशीर्ष मास में गीता जयंती और दत्त जयंती मनाई जाती है। इसके बाद आने वाले पौष मास में हनुमान अष्टमी और पार्श्वनाथ जयंती मनाई जाती है और पौष मास में सूर्य उपासना का विशेष महत्व है।
हेमंत ऋतु में पृथ्वी की सूर्य से दूरी अधिक हो जाने के कारण तापमान में लगातार कमी होती जाती है। माहौल में धीरे-धीरे ठंडक घुलने लगती है। आयुर्वेद में इस ऋतु को स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा बताया गया है। इस ऋतु में शरीर को खाने-पीने से भरपूर ऊर्जा मिलती है और प्रतिरक्षा शक्ति भी उत्तम बनी रहती है। व्यायाम के साथ इस ऋतु में सभी रसों का सेवन किया जा सकता है। चरक संहिता में कहा गया है कि -
शीते शीतानिलस्पर्शसंरुद्घो बलिनां बलीः।
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