
धर्म डेस्क: वैदिक शास्त्रों के अनुसार हर मास की शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है और कार्तिक मास की पूर्णिमा (Kartik Purnima 2025 Date) को विशेष महत्व प्राप्त है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना का विधान है। साथ ही गंगा स्नान व दान-पुण्य का विशेष फल माना जाता है। चलिए जानते हैं कि इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा कब पड़ रही है और पूजा-अर्चना के लिए कौन से शुभ मुहूर्त हैं।
सूर्योदय सुबह 06:28 पर होगा और सूर्यास्त शाम 05:40 पर होगा। चंद्रोदय का समय शाम 07:20 है जबकि चंद्रास्त (चंद्र का अस्त होना) इस सूची में उल्लेखित नहीं है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04:46 से 05:37 तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 01:56 से 02:41 तक है और गोधूलि मुहूर्त शाम 05:40 से 06:05 तक रहेगा। इन मुहूर्तों का ध्यान रखते हुए साधक अपने अनुष्ठान कर सकते हैं।
सुबह जल्दी उठकर स्वच्छ होकर स्नान करना और सूर्यदेव को अर्घ्य देना पूजा का पहला चरण है। मंदिर की सफाई करके चौकी पर साफ पीला वस्त्र बिछाएं और भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की मूर्तियों या चित्रों को स्थापित करें। फूलमाला अर्पित करें, दीपक जलाकर आरती करें और आवश्यक मंत्रों का जप करें। विष्णु चालीसा का पाठ भी इस दिन विशेष फलप्रद माना जाता है। भोग में फल, मिठाई एवं अन्य प्रसाद लगा कर वितरण करें और स्वयं ग्रहण करें।
धार्मिक मान्यता है कि गंगा स्नान के बाद अन्न-धन का दान करने से विशेष पुण्य होता है और धनलाभ के योग बनते हैं। इसलिए कई श्रद्धालु नदियों के तटों पर स्नान कर दान-पुण्य करते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्री सूक्त और माता लक्ष्मी के मंत्रों का जाप अत्यंत शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इन मंत्रों और पाठों से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं तथा भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखती हैं। परास्कृतियों के अनुसार, इस दिन मंदिरों या गरीबों में दान देने का विशेष महत्व है। ऐसा करने से व्यक्ति को जीवन में संपन्नता और अभाव से मुक्ति का अनुग्रह मिलता है।
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अतः 05 नवंबर 2025 को मनाई जाने वाली कार्तिक पूर्णिमा पर शास्त्र सम्मत विधि से पूजा-अर्चना, गंगा स्नान एवं दानदान को प्राथमिकता दें ताकि धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टियों से शुभ फल मिल सकें।
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