नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। भाद्रपद शुक्ल पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला पर्व ऋषि पंचमी का पर्व 28 अगस्त गुरुवार, को मनाया जाएगा। यह तिथि गणेश चतुर्थी के अगले ही दिन पड़ेगी। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि ऋषि पंचमी का पर्व गुरु, आचार्य और ऋषियों का ऋण चुकाने का पर्व है। यह दिन भक्ति, तपस्या और कृतज्ञता का पर्व है।
जो भी इस दिन व्रत और पूजा करता है, उसका जीवन सुख-शांति और समृद्धि से भर जाता है। सनातन धर्म में यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से लोगों को संतान प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त हिंदू पंचांग के अनुसार, ऋषि पंचमी की पंचमी तिथि 27 अगस्त को दोपहर तीन बजकर 44 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 28 अगस्त को शाम 5 बजकर 56 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, ऋषि पंचमी 28 अगस्त को ही मनाई जाएगी।
ऋषि पंचमी की पूजा का शुभ समय सुबह 11 बजकर पांच मिनट से दोपहर एक बजकर 39 मिनट तक रहेगा।विद्वानों के मुताबिक इसी समय सप्तऋषियों का पूजन और व्रत सबसे अधिक फलदायी माना गया है। ऋषि पंचमी पर्व महिलाओं के लिए विशेष हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, ऋषि पंचमी का व्रत मुख्यतः महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि यदि मासिक धर्म के दौरान अनजाने में कोई धार्मिक नियम भंग हो जाए, तो इस दिन व्रत करने और सप्तऋषियों की पूजा करने से सभी दोष समाप्त हो जाते हैं।
सप्तऋषि : ऋषि कश्यप, ऋषि अत्रि, ऋषि भरद्वाज, ऋषि विश्वामित्र, ऋषि वशिष्ठ, ऋषि जमदग्नि और गौतम ऋषि की तपस्या और ज्ञान को नमन करने के लिए यह पर्व समर्पित है।
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