
Sawan 2021 :सावन माह आरंभ हो चुका है। लोग अपने घर, मोहल्लों में बने शिव मंदिरों में बारी-बारी से महादेव की आराधना कर रहे हैं। भगवान शिव पर पूजन के दौरान जो जल, दूध, पुष्प, बिल्व पत्र आदि अर्पण किया जाता है, उसे निर्माल्य कहते हैं। अधिकांश शिव मंदिरों में, तीर्थों में यह देखने में आता है कि यह निर्माल्य या तो गंदी नालियों में जाता है अथवा कचरे में दिखाई देता है, जिस पर लोगों के पैर लगते रहते हैं। लेकिन अधिकांश लोगों को पता नहीं है कि ऐसा होना शुभ नहीं माना जाता है। धार्मिक दृष्टि से इसके बड़े अनिष्ट हो सकते हैं। उज्जैन के महाकाल सहित ॐकारेश्वर या अन्य तीर्थ ज्योतिर्लिंग में यह देखा जा सकता है कि प्रवेश द्वार से ही पत्र पुष्प बिखरा रहता है। पैरों में आता है। बहुत से भक्त व मंदिर पुजारी तो शिव निर्माल्य को कचरा वाहन में भी फेंक देते हैं या शहर के गंदे नाले में छोड़ देते हैं। शिव निर्माल्य पर गलती से भी पैर लग जाये या उसका अपमान किसी से हो जाये तो उसकी समस्त सिद्धि शक्ति तप पुण्य उसी समय पूर्ण नष्ट हो जाते हैं। उसे कष्टों का सामना करना पड़ता है और प्रायश्चित करना पड़ता है।
यह है पुष्पदंत की कथा
निर्माल्य को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। यह कथा पुष्पदंत है की है जो भगवान शिव के बड़े उपासक थे। उनसे एक बार गलती से शिव जी के निर्माल्य पर पैर लग गया था। उसी समय उनकी समस्त शक्ति भक्ति पुण्य सिद्धि नष्ट हो गई थी। तब उन्होंने शिव महिम्न स्रोत की रचना करके पाठ किया। इसके बाद उन्हें शिव कृपा की दोबारा प्राप्ति हुई, इसलिए शिव निर्माल्य का हमे विचार करना चाहिए ।
यह होना चाहिये उपाय
- सभी शिव भक्तों को अपने क्षेत्र के शिव मंदिर के निर्माल्य के लिए आगे आना चाहिये।
- शिवजी के लिए आने वाले जल को मंदिर परिसर या उसके आसपास 5 या 10 फीट बोरिंग जैसा गड्ढा करकर शिव जी पर अर्पण होने जल का निकास करें।
- शिवजी पर अर्पण पत्र पुष्प को नदी तालाब सरोवर, कुएं को दूषित न करते हुए या तो आज की पद्धति से खाद बनाएं या गड्ढा खोदकर उसमे डालें जो कि स्वत: खाद बन जाएगा। जो निर्माल्य नदी, तालाब, सरोवर व कुआं आदि को दूषित न करे वह निर्माल्य ही पानी में छोड़ें।
- श्रावण मास पर शिव निर्माल्य का दोष न हो इसी कदम में अपने आसपास के शिवालय मे यह व्यवस्था करे। यही श्रावण मास में शिवजी की सबसे बड़ी सेवा होगी।
- सभी देवी-देवताओं के पूजन, हवन अनुष्ठान में घर में प्रतिदिन पूजन के निर्माल्य का ध्यान रखना चाहिये।
(उक्त जानकारी प्राचीन हनुमान मंदिर मुकेरीपुरा इंदौर के पुजारी पंडित राजाराम शर्मा से चर्चा के अनुसार)