धर्म डेस्क, इंदौर (Sawan 2025)। सावन का पवित्र माह चल रहा है। सावन के पहले सोमवार को देश के सभी प्रमुख शिवालयों में भक्तों की भीड़ है। हर कोई शिवलिंग पर जल अर्पित कर रहा है।
छत्तीसगढ़ के सरकंडा स्थित श्री पीतांबरा पीठ त्रिदेव मंदिर में सावन महोत्सव श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। यहां श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेकात्मक महायज्ञ प्रतिदिन नमक-चमक विधि से किया जा रहा है।
पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश महाराज ने बताया कि शिव पुराण के अनुसार सावन मास में शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। भारत में शिवभक्ति का मूल मंत्र है। एक लोटा जल, सारी समस्या का हल।
उन्होंने बताया कि पूजा में सावधानी बरतना आवश्यक है, अन्यथा उसका फल नहीं मिलता। जलाभिषेक हमेशा शांत मन से बैठकर करें, खड़े होकर या तेज धार में जल अर्पण अशुभ माना गया है। जल चढ़ाते समय उत्तर दिशा की ओर मुख रखें। तांबा, कांसा या चांदी के पात्र से ही जल अर्पित करें, स्टील के बर्तन या तांबे से दूध चढ़ाना वर्जित है।
14 जुलाई को सावन सोमवार के साथ संकष्टी चतुर्थी भी है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा का महत्व होता है। भक्तजन भगवान गणेश को दूर्वा, मोदक और लड्डू अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। मंदिरों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ है।
प्राचीन शिवालय सहित देश के सभी बड़े शिव मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। परंपरा के अनुसार दर्शन के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाना विशेष फलदायी माना जाता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु कांवड़ लेकर भी पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं।
यहां भी क्लिक करें - सावन में शिवजी के 7 मंत्र के जप से मिलेगी सफलता, सारी बाधाएं होंगी दूर
सावन के पहले सोमवार से कांवड यात्रा निकालने की अनोखी परंपरा है। इस साल भी भक्तों में इसे लेकर जबरदस्त उत्साह है। ढोल-मंजीरों की थाप पर भक्त थिरकते नजर आ रहे हैं। यह आस्था के साथ स्थानीय संस्कृति को जोड़ने की अनोखी पहल बन रही।