नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। न्याय के देवता शनिदेव को प्रसन्न करने की कामना के साथ शनिचरी अमावस्या शनिवार को मनाई जाएगी। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इस बार की शनि अमावस्या काफी खास है क्योंकि कई शुभ योग भी बनने जा रहे हैं। ऐसे में आप पितृ दोष शांति के उपाय कर सकते हैं। इससे आपके पितृ दोष दूर होंगे और घर में सुख-समृद्धि आएगी। शनिचरी अमावस्या पर नगर के प्रमुख शनिदेव के मंदिरों पर श्रद्धालुओं के लिए दर्शनों की विशेष व्यवस्था की गई है। शनि की साढ़े साती और ढैय्या से पीड़ित जातक भगवान शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक कर दान कर जीवन में अनुकूल फल की कामना करेंगे।
बड़ी संख्या में श्रद्धालु मुरैना जिले में स्थित ऐंती भी भगवान शनिदेव के दर्शन करने के लिए जाएंगे। भाद्रपद शनिचरी अमावस्या मुहूर्त इस साल भाद्रपद अमावस्या की तिथि 22 अगस्त की सुबह लगभग 11 बजकर 55 मिनट से शुरू हो रही है। इसका समापन 23 अगस्त की सुबह लगभग 11 बजकर 35 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में 23 अगस्त को ही अमावस्या मनाई जाएगी। शनिवार के दिन पड़ने के चलते इसे शनिचरी अमावस्या भी कहते हैं।
इस दिन शिव-शक्ति की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही सभी बिगड़े काम भी बन जाते हैं। देवाधिदेव महादेव शनिदेव के गुरु माने जाते हैं। शनिचरी अमावस्या पर शिव योग का भी संयोग बन रहा है। शिव योग देर रात 12 बजकर 54 मिनट तक है। इससे पहले परिघ योग का संयोग बन रहा है। परिघ योग का समापन दोपहर एक बजकर 20 मिनट तक है। इस दौरान भगवान शिव की पूजा की जाएगी।
ज्योतिषियों की मानें तो शनिचरी अमावस्या पर माघ नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है। इस योग में गंगा स्नान करने से महापुण्य फल मिलता है। इस योग का संयोग देर रात 12 बजकर 54 मिनट तक है। मघा नक्षत्र को स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप एवं दान-पुण्य के लिए बेहद शुभ माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ में पितरों का वास माना जाता है। ऐसे में शनि अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और पेड़ की परिक्रमा लगाएं। इस उपाय को करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है और आर्थिक तंगी दूर होती है। पितरों को प्रसन्न करने का अवसर अमावस्या तिथि पर माना जाता है कि पितृ धरती पर आते हैं। वहीं शनि अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करने का विशेष मौका है। पितरों की आत्मा की शांति और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए दीपदान, तर्पण और उनके निमित्त पूजा की जा सकती है। शनि अमावस्या पर मंदिर या गरीबों में तिल का दान करने का भी महत्व है। इसके अलावा गाय को चारा और पक्षियों को दान किया जाता है।
यह भी पढ़ें- Shani Rashi Parivartan: 29 मार्च को शनिचरी अमावस्या, शनि के राशि परिवर्तन का राशियों पर होगा ऐसा असर
शनिचरी अमावस्या पर ट्रांसपोर्ट नगर के पास स्थित प्राचीन शनिदेव मंदिर के साथ-साथ रामदास घाटी, दाल बाजार, द्वारिकाधीश मंदिर, थाटीपुर स्थित शनिदेव मंदिर, श्रीराम मंदिर में शिवाजी पार्क स्थित शनिदेव मंदिरों में श्रद्धालु भगवान शनिदव का सरसों के तेल से अभिषेक कर काले तिल, उड़द काला कपड़ा, लोहा अर्पित कर प्रसन्न करने का प्रयास करेंगे। इसके साथ दिव्यांगों व मजदूर वर्ग को भोजन कराकर दान-दक्षणा व शनिवस्तुओं का दान करेंगे।