धर्म डेस्क। 01 अक्टूबर 2025, बुधवार को शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि है, जिसे महानवमी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन मां दुर्गा के नवम स्वरूप 'मां सिद्धिदात्री' को समर्पित होता है। इस विशेष अवसर पर देवी की श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजा की जाती है।
पूजन के दौरान भक्त व्रत का पालन करते हैं और हवन व आरती के बाद व्रत का पारण करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता (सिद्धि) प्राप्त होती है।
॥दोहा॥
नवरात्रि में नवमी दिन, जो सिद्धिदात्री की साध।
उनका कार्य सिद्ध हो, मिट जाए सब बाध॥
॥चौपाई॥
जय सिद्धिदात्री जगदंबा, सिद्धि का दान देने वाली।
जो भी करे विनती तेरी, उसकी हर मनोकामना पूरी वाली॥
शक्ति स्वरूपिणी माँ अम्बे, जो भी सुमिरे तुझको।
कष्ट हरती, दीनों पर कृपा करती, तेरी महिमा असीम है माँ॥
चारों दिशाओं में तेरी महिमा, तुझसे बढ़कर कोई नहीं।
त्रिदेव भी तेरे आगे नतमस्तक, तेरा वरदान सभी माँगे॥
जो सच्चे मन से भजे तुझको, उसके संकट दूर हो जाए।
धन-धान्य की हो प्राप्ति, जीवन में मंगल हो जाए॥
सिद्धिदात्री माँ जगदंबे, तेरे चरणों में शीश नवाए।
तू ही शक्ति, तू ही ममता, जग में तेरा ही गुण गाए॥
सिद्धियों की दात्री माँ तू, तुझसे बड़ा कोई नहीं।
तेरी महिमा अपरंपार है, तेरा ही गुणगान सभी करते॥
जो भी करे ध्यान तेरा, वह भवसागर से तर जाए।
तेरा स्मरण करते ही माँ, सब दुःख दर्द दूर हो जाए॥
भक्तों की रक्षा करने वाली, तू है जगत की पालनहार।
तेरी महिमा गाते गाते, हम भी हो जाएँ तुझपर निसार॥
नवदुर्गा में तेरा स्थान, तुझसे ही है सबका उद्धार।
सिद्धिदात्री माँ तू है जग की, तेरा ही भजते बारम्बार॥
माँ सिद्धिदात्री की महिमा, कोई कह न पाए।
जो भी हो तेरे ध्यान में लीन, वह सब संकट से छूट जाए॥
सर्व सिद्धियों की दात्री माँ, तेरे चरणों में शीश नवाए।
जो तेरा स्मरण करते, वे भवसागर से पार हो जाए॥
॥दोहा॥
माँ सिद्धिदात्री का जो भी ध्यान करे सुमिरन।
उसके सब कष्ट कट जाएं, हो उसका मंगल सदा॥