
Holi 2022 Spring season सभी ऋतुओं में वसंत ऋतु का महत्व सबसे अधिक होता है और खुद भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि "मैं ऋतुओं में वसंत हूं।" इस साल बसंत ऋतु का मौसम 15 मार्च से शुरू होने जा रहा है। सनातन धर्म में वैदिक काल में इस मौसम को नए साल की शुरुआत के रूप में देखा जाता है और शिव पुराण के कहा गया है कि कामदेव ने ही भगवान शिव की तपस्या को तोड़ने के लिए इस मौसम का निर्माण किया था।
सूर्य सिद्धांत ग्रंथ में वसंत ऋतु का जिक्र
पुरी के ज्योतिष डॉ. गणेश मिश्रा का कहना है कि सभी ऋतुओं का खगोलीय आधार सूर्य है। जब ग्रह राशि परिवर्तन करते हैं तो सभी ऋतुओं का भी परिवर्तन होता है। ज्योतिष शास्त्र के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ सूर्य सिद्धांत है और इस ग्रंथ में बताया गया है कि जब सूर्य मीन और मेष राशि में होता है तो वसंत होता है और इस लिहाज से इस साल 15 मार्च से 14 मई तक वसंत ऋतु चलेगी।
इसलिए वसंत ऋतु को कहते हैं सभी ऋतुओं का राजा
दरअसल वसंत ऋतु में पृथ्वी की उर्वरता अर्थात् उत्पादन क्षमता अन्य ऋतुओं की तुलना में बढ़ जाती है। इस ऋतु जीवन के लिए सबसे अनुकूल मानी जाती है। यही कारण है कि वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।
गीता में भगवान कृष्ण ने भी किया वसंत ऋतु का जिक्र
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में एक जगह खुद को वसंत ऋतु के समान श्रेष्ठ बताया है। वह सभी देवताओं और सर्वोच्च शक्तियों में सर्वोच्च है, उसी तरह वसंत भी सभी मौसमों में सर्वश्रेष्ठ है। ज्योतिष के अनुसार वसंत ऋतु में सूर्य अपनी मित्र और उच्च राशियों मीन और मेष राशि में रहता है, जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है।
वसंत ऋतु में बढ़ती है सकारात्मकता
वसंत ऋतु में मौसम न ज्यादा ठंडा होता है और न ही ज्यादा गर्म, जो उत्साह और सकारात्मकता को बढ़ाता है। इस मौसम में नई फसल के आने पर त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने की परंपरा रही है। इंसानों और जानवरों में प्रजनन क्षमता बढ़ती है। इसलिए इसे सृष्टि की ऋतु भी कहा जाता है। वैदिक काल में पहला मौसम वसंत ही माना जाता था।