Uttar Ramayana: रामायण भारतीय संस्कृति का एक महाकाव्य है जिसमें धर्म के साथ संस्कारों का समावेश किया गया है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को आदर्श पुरूष और सनातन संस्कृति का आराध्य देव माना गया है। जिनकी विशेषताओं का गुणगान महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में गोस्वामी तुलसीदासजी ने रामचरित मानस में किया है। दोनों ही प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त थे और उनकी कृपा से उन्होंने महाकाव्यों की रचना की।
सात कांडों में विभक्त है रामायण
इन दोनों महाकाव्यों को सात भागों में विभक्त किया गया है। रामायण और रामचरित मानस दोनों का पहला कांड बालकांड है। इसके बाद क्रम से अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड और उत्तरकांड है। इसमें उत्तरकांड की यदि हम बात करें तो इसमें भगवान श्रीराम के लंका विजय के बाद अयोध्या वापसी का वर्णन किया गया है। उत्तरकांड में 111 सर्ग और 3,432 श्लोक हैं। बृहद्धर्मपुराण के अनुसार इस काण्ड का पाठ आनंद उत्सव के कार्यों जैसे यात्रा आदि के लिए किया जाता है।
य: पठेच्छृणुयाद् वापि काण्डमभ्युदयोत्तरम्।
आनन्दकार्ये यात्रायां स जयी परतोऽत्र वा॥
श्रीराम की अयोध्या वापसी का है वर्णन
उत्तरकांड में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के अयोध्या वापसी के बाद के घटनाक्रम का वर्णन किया गया है। इसमें भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक से लेकर काकभुशुण्डि तक की घटनाओं का विस्तार से वर्णन किया गया है। लंकापति रावण के वध के बाद भगवान श्रीराम अयोध्या वापस आते हैं। यहां पर वनवास के बाद उनका भाई भरत से मिलाप होता है। इसमेम राम-भरत मिलाप का मनमोहक वर्णन किया गया है। अयोध्या में श्रीराम के आगमन ने चारों तरफ आनंदोत्सव छाया हुआ है। श्रीराम और माता सीता का भव्य स्वागत होता है।
रामदरबार में नारदजी श्रीराम की करते हैं स्तुति
अयोध्या आगमन के बाद श्रीराम का राज्याभिषेक होता है। जिसमें ऋषि-मुनि वेदोक्त मंत्रों के साथ भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक करते हैं। अयोध्या का राजपाठ संभालने के बाद श्रीराम वानरों और निषाद का भावभीनी विदाई देते हैं। उत्तरकाण्ड में रामराज्य का वर्णन किया गया है। प्रभु श्रीराम के राज्य में उनकी प्रजा सुखी है, संपन्न है और सभी तरह के सुख उनको प्राप्त है। अपराध से मुक्त है रामराज्य। श्रीराम को दो पुत्रों की प्राप्ति का वर्णन है और अयोध्या की भव्यता और विशालता का इसमें बेहद खूबसूरत वर्णन किया गया है।
सनकादिक का आगमन और उनसे हुए संवाद के संबंध में बताया गया है। हनुमानजी के द्वारा भरतजी का प्रश्न पूछना और श्रीराम के उपदेश का वर्णन है। उत्तरकांड में श्रीराम अयोध्यावासियों को उपदेश देते हैं। श्रीराम का महर्षि वशिष्ठ के साथ संवाद है और उनका अपने भाइयों के साथ अमराई में जाने का वर्णन है। नारदमुनि का रामदरबार में आना और श्रीराम की स्तुति कर ब्रह्मलोक लौट जाने का वर्णन है।
काकभुशुण्डि की रामकथा का है वर्णन
शिव-पार्वती के संवाद के साथ गरुड़जी का काकभुशुण्डि से रामकथा और राम महिमा सुनने का वर्णन है। काकभुशुण्डि अपने पूर्व जन्म की कथा सुनाते हैं और कलि की महिमा कहते हैं। गुरुजी के अपमान और शिवजी के शाप की बात सुनाते हैं। गुरुजी का शिवजी से अपराध की क्षमायाचना और इसके बाद काकभुशुण्डि की आगे की कथा सुनाते हैं। काकभुशुण्डिजी के लोमशजी के पास जाने और शाप और अनुग्रह पाने का वर्णन किया गया है। काकभुशुण्डि , गरुड़जी के द्वारा पूछे गए सात प्रश्नों के उत्तर देते हैं। उत्तरकांड में श्रीराम के जलसमाधि और माता सीता के धरती में समाने का वर्णन है अंत में रामायण का माहात्म्य, तुलसी विनय और फलस्तुति और रामायण की आरती है।