
डिजिटल डेस्क। भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है, यह करोड़ों लोगों की भावनाओं से जुड़ा जुनून है। जब टीम इंडिया जीतती है तो पूरा देश जश्न में डूब जाता है, लेकिन कुछ हार ऐसी होती हैं जो समय के साथ भी नहीं भरतीं। ये हारें स्कोरकार्ड से आगे बढ़कर यादों में गहरे जख्म बन जाती हैं, जो रह-रहकर दर्द देती हैं।
भारतीय क्रिकेट के इतिहास में कुछ ऐसे मुकाबले दर्ज(Indian cricket heartbreak) हैं, जिन्हें कोई फैन दोबारा याद नहीं करना चाहता, लेकिन फिर भी ये पल स्मृतियों में कैद रह जाते हैं। जब भी इनकी चर्चा होती है, आंखें नम हो जाती हैं। आइए जानते हैं भारतीय क्रिकेट के ऐसे ही 8 सबसे दर्दनाक पल, जब टीम के साथ पूरा देश टूट गया था।
19 नवंबर 2023: अहमदाबाद की वो खामोश शाम
लगातार 10 मैच जीतकर टीम इंडिया वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंची थी। नरेंद्र मोदी स्टेडियम में एक लाख से ज्यादा दर्शक मौजूद थे और हर तरफ जीत का भरोसा दिख रहा था। लेकिन फाइनल में एक शानदार पारी ने भारत के सपनों को चकनाचूर कर दिया। टॉप ऑर्डर के जल्दी आउट होते ही स्टेडियम में सन्नाटा पसर गया। वह खामोशी आज भी फैंस के दिलों में गूंजती है।
10 जुलाई 2019: वो रनआउट जिसने वक्त रोक दिया
वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में आखिरी ओवरों तक भारत की उम्मीदें जिंदा थीं। क्रीज पर अनुभव था और जीत की आस भी। लेकिन एक थ्रो, एक डाइव और फिर स्टंप्स बिखर गए। उस पल जैसे पूरा देश थम गया। मैदान छोड़ते वक्त आंखों में आंसू लिए एक दिग्गज खिलाड़ी की तस्वीर आज भी फैंस के जेहन में ताजा है।
24 अक्टूबर 2021: जब टूटा अजेय रिकॉर्ड
टी20 वर्ल्ड कप में भारत का दशकों पुराना रिकॉर्ड पहली बार टूटा। लक्ष्य को बिना कोई विकेट गंवाए हासिल कर लिया गया। यह हार सिर्फ मैच की नहीं थी, बल्कि आत्मविश्वास और इतिहास दोनों पर गहरी चोट थी।
18 जून 2017: फाइनल की करारी सच्चाई
चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में भारत को बेहद एकतरफा मुकाबले का सामना करना पड़ा। विशाल लक्ष्य के सामने भारतीय बल्लेबाजी बिखर गई। जीत की उम्मीदें बहुत जल्दी टूट गईं और यह हार लंबे समय तक चुभती रही।
31 मार्च 2016: घर में लगा गहरा जख्म
घरेलू मैदान पर बड़े स्कोर के बावजूद टीम इंडिया जीत दर्ज नहीं कर सकी। आखिरी ओवरों में मैच हाथ से निकल गया। अपने घर में मिली इस हार ने फैंस को भीतर तक तोड़ दिया।
मार्च 2007: ग्रुप स्टेज से शर्मनाक विदाई
उम्मीदों से भरी टीम, लेकिन प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा। शुरुआती मुकाबलों में मिली हार के बाद भारत टूर्नामेंट से बाहर हो गया। देशभर में गुस्सा, निराशा और हंगामा देखने को मिला। यह दौर भारतीय क्रिकेट के सबसे मुश्किल दौरों में से एक माना जाता है।
23 मार्च 2003: फाइनल में टूटा सपना
पूरे टूर्नामेंट में शानदार खेल के बाद फाइनल में उम्मीदें चरम पर थीं। लेकिन विशाल लक्ष्य के दबाव में टीम इंडिया टिक नहीं सकी। यह मैच आज भी ‘क्या होता अगर’ के सवाल के साथ याद किया जाता है।
13 मार्च 1996: ईडन गार्डन्स की बदनुमा रात
लक्ष्य का पीछा करते हुए विकेट लगातार गिरते चले गए। दर्शकों का गुस्सा मैदान तक पहुंच गया और मैच रोकना पड़ा। अंत में हार की घोषणा हुई। यह रात भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे काले पलों में गिनी जाती है।
ये सभी हारें सिर्फ मैच नहीं थीं, बल्कि भावनात्मक झटके थीं। इन पलों ने भारतीय क्रिकेट और उसके फैंस को बहुत कुछ सिखाया। यही यादें बताती हैं कि क्रिकेट हमारे लिए खेल से कहीं बढ़कर है, यह हमारी भावनाओं का हिस्सा है।