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डिजिटल डेस्क। जैसे-जैसे भारतीय महिला क्रिकेट टीम जीत की ओर बढ़ती गई, शेफाली वर्मा के घर में खुशियों का माहौल बनता गया। रोहतक स्थित उनके घर पर रिश्तेदारों और दोस्तों का तांता लग गया। मैच खत्म होने से पहले ही परिवार ने ढोलक की थाप पर नाचना शुरू कर दिया और आतिशबाजी से घर का आंगन जगमगा उठा। रात करीब 11:40 बजे जब दक्षिण अफ्रीका की टीम आठ विकेट खो चुकी थी, तभी जीत का जश्न शुरू हो गया था।
पिता की सलाह
शेफाली की इस ऐतिहासिक पारी के पीछे उनके पिता संजीव वर्मा की सलाह का भी बड़ा योगदान रहा। सेमीफाइनल में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद पिता ने उन्हें समझाया था कि “बस विकेट पर टिके रहो, रन अपने आप आएंगे।” बेटी ने पिता की यह बात दिल से मानी, और फाइनल में धैर्य के साथ शानदार पारी खेलते हुए भारत को पहली बार वर्ल्ड कप जिताया।
बेटी पर गर्व
हालांकि शतक से चूकने पर पिता संजीव थोड़े निराश जरूर हुए, लेकिन बेटी के प्रदर्शन पर गर्व से उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने कहा कि “शेफाली ने वो कर दिखाया, जो हर पिता अपनी बेटी से सपना देखता है।” फाइनल से पहले संजीव वर्मा ने राजस्थान के मनसा देवी मंदिर में जाकर टीम की जीत की मन्नत मांगी थी। उनके साथ चाचा मुकेश, भाई अमन और अंकित भी रविवार सुबह मंदिर पहुंचे थे।
जिताकर ही लौटूंगी
भारतीय टीम में चयन की सूचना शेफाली ने सबसे पहले अपनी मां परवीन बाला को दी थी। उन्होंने हंसते हुए बताया, “शेफाली ने फोन पर कहा कि मम्मी, एक खुशखबरी है। जब मैंने पूछा क्या टीम में सिलेक्शन हुआ? तो उसने हंसकर कहा, हां, अब मैं टीम को जिताकर ही लौटूंगी।”