स्पोर्ट्स डेस्क। एशिया कप का आगाज़ मंगलवार से यूएई की सरज़मीं पर होने जा रहा है। इस बार टूर्नामेंट टी-20 प्रारूप में खेला जाएगा। मौजूदा समय में भारतीय टीम विश्व चैंपियन और नंबर-1 रैंकिंग की हकदार है, ऐसे में खिताब की सबसे बड़ी दावेदार भी वही मानी जा रही है।
बुधवार को दुबई में सूर्यकुमार यादव की कप्तानी में भारत अपना पहला मैच मेज़बान यूएई से खेलेगा। टीम इतनी संतुलित है कि चयनकर्ताओं ने 17 की बजाय केवल 15 खिलाड़ियों का ही चयन किया है, बिल्कुल वैसे ही जैसे आईसीसी टूर्नामेंट्स के लिए किया जाता है।
भारत अब तक आठ बार (सात बार वनडे और एक बार टी-20) एशिया कप की ट्रॉफी अपने नाम कर चुका है। लक्ष्य इस बार नौवीं बार एशिया का सरताज बनने का है। मौजूदा हालात देखें तो बाकी सभी टीमें अभी प्रयोग और संयोजन में उलझी हैं, जबकि भारत पूरी तरह तय रणनीति के साथ मैदान में उतरेगा।
सूर्यकुमार यादव के नेतृत्व में टीम का जीत प्रतिशत 80 के आसपास रहा है। उपकप्तान शुभमन गिल को भविष्य का कप्तान माना जा रहा है। बल्लेबाजी में गहराई, जसप्रीत बुमराह की धार और स्पिन विभाग का संतुलन भारत को किसी भी हालात में मजबूत बनाता है। सबसे अहम बात यह है कि टीम का दृष्टिकोण बिल्कुल साफ़ और स्पष्ट है।
पाकिस्तान ने बाबर आज़म और मोहम्मद रिज़वान जैसे दिग्गजों को हटाकर नई टीम पर दांव लगाया है और गेंदबाज़ी में शाहीन अफरीदी, हारिस रऊफ और हसन अली पर उम्मीदें टिकाई हैं। श्रीलंका कप्तान चरित असलंका की अगुवाई में चुनौती देगा, लेकिन लंबी जीत की लय पकड़ने पर सवाल हैं। बांग्लादेश अभी भी अस्थिर नज़र आता है।
भारत के लिए असली खतरा अफगानिस्तान बन सकता है। राशिद खान, नूर अहमद और अजमतुल्लाह गजनफर जैसे स्पिनर मिडिल ओवरों में किसी भी टीम को रोकने की क्षमता रखते हैं। उनकी बल्लेबाज़ी भी पिछले कुछ वर्षों में कहीं ज्यादा धारदार हो गई है।
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यूएई, ओमान और हांगकांग जैसी टीमें ट्रॉफी की दावेदार तो नहीं हैं, लेकिन भारत और पाकिस्तान जैसी ताक़तवर टीमों के खिलाफ खेलना उनके लिए बड़े अनुभव से कम नहीं होगा। इनमें कई प्रवासी खिलाड़ी शामिल हैं, जिन्हें पहली बार सूर्यकुमार यादव और जसप्रीत बुमराह जैसे स्टार खिलाड़ियों का सामना करने का मौका मिलेगा।