
टेक्नोलॉजी डेस्क। उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में कड़ाके की ठंड (Winter Chill) ने दस्तक दे दी है। ऐसे में खुद को गर्म रखने के लिए पारंपरिक रूम हीटर और ब्लोअर सबसे आम जरिया हैं, लेकिन ये आपकी जेब पर 'बिजली बिल' का भारी बोझ डाल देते हैं। इसी समस्या का आधुनिक समाधान बनकर उभरा है इलेक्ट्रिक ब्लैंकेट (Electric Blanket)।
पिछले कुछ वर्षों में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है, क्योंकि यह न केवल किफायती है बल्कि इस्तेमाल में भी बेहद आसान है। आइए जानते हैं इसके पीछे की तकनीक, बचत का गणित और सुरक्षा से जुड़ी हर जरूरी बात।
इलेक्ट्रिक ब्लैंकेट सामान्य कंबल जैसा ही दिखता है, लेकिन इसके भीतर इंसुलेटेड (सुरक्षित) हीटिंग वायर्स का एक जाल बिछा होता है।
हीटिंग मैकेनिज्म: जब आप इसे बिजली के प्लग से जोड़ते हैं, तो वायर्स के जरिए करंट प्रवाहित होता है और वे गर्म होने लगते हैं।
सेफ्टी फीचर्स: आधुनिक ब्लैंकेट्स में फाइबरग्लास वायर्स और थर्मोस्टेट का इस्तेमाल होता है, जो तापमान को एक निश्चित सीमा से ऊपर नहीं जाने देते।
अगर आप बिजली बिल को लेकर चिंतित हैं, तो ये आंकड़े आपको हैरान कर देंगे:
रूम हीटर: एक औसत रूम हीटर 1500W से 2000W बिजली की खपत करता है। यदि इसे रात भर चलाया जाए, तो यह रोजाना 8 से 10 यूनिट बिजली खर्च कर सकता है।
इलेक्ट्रिक ब्लैंकेट: यह मात्र 100W से 150W की पावर पर काम करता है। यानी जितना बिजली एक बल्ब या पंखा लेता है, उतने में ही यह आपको पूरी रात गर्म रखेगा।
इलेक्ट्रिक ब्लैंकेट का इस्तेमाल आपके हीटर के बिल को 80-90% तक कम कर सकता है।
अधिकतम लाभ और सुरक्षा के लिए एक्सपर्ट्स इन स्टेप्स को फॉलो करने की सलाह देते हैं:
1. प्री-हीटिंग: सोने से 15 मिनट पहले ब्लैंकेट को 'हाई' मोड पर ऑन कर दें।
2. प्लेसमेंट: इसे सीधे गद्दे पर बिछाएं और इसके ऊपर एक पतली चादर डाल दें ताकि गर्मी सीधे शरीर को न लगे।
3. सोते समय सावधानी: गहरी नींद में जाने से पहले इसे 'लो' मोड पर कर दें या पूरी तरह बंद कर दें। बिस्तर पहले से ही काफी गर्म हो चुका होगा।
आजकल के 'स्मार्ट' इलेक्ट्रिक ब्लैंकेट्स में ऑटो शट-ऑफ (Auto Shut-off) फीचर आता है, जो एक समय के बाद बिजली की आपूर्ति बंद कर देता है। हालांकि, छोटे बच्चों, बुजुर्गों या मधुमेह (Diabetes) के मरीजों को इसे रातभर ऑन रखकर सोने से बचना चाहिए, क्योंकि उनकी त्वचा गर्मी के प्रति कम संवेदनशील हो सकती है।
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