टेक्नोलॉजी डेस्क, इंदौर। Sim Card Rules: पिछले महीने की शुरुआत में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के सामने एक जमानत याचिका आई, जिसमें साइबर ठगी के मामले में गिरफ्तार मध्य प्रदेश के सुमित नंदवानी का जिक्र था। न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया। इस निर्णय में एक बड़ा संदेश भी है।
अगर आपके नाम पर जारी सिम कार्ड का धोखाधड़ी जैसे अपराधों में प्रयोग हुआ, तो आप कानूनी शिकंजे से कतई बच नहीं पाएंगे। दरअसल, सुमित के नाम और आधार कार्ड पर अलग-अलग कंपनियों के 35 से अधिक सिम जारी हुए और इन सभी का प्रयोग ठगी के लिए किया गया, जैसे-ओटीपी स्कैम, व्हाट्सएप स्कैम आदि।
हाल के दिनों में घर से पार्ट टाइम इनकम के नाम पर भी ठगी के मामले सामने आ चुके हैं। जिस तरह फर्जी दस्तावेजों के सहारे सिम कार्ड प्राप्त कर ठगी हो रही है, उसे देखते हुए सिम कार्ड के प्रयोग, जारी करने की प्रक्रिया, सिमों की संख्या और निगरानी को लेकर बहस तेज हो गई है।
बढ़ते साइबर अपराध को देखते हुए इंटरनेशनल कॉलिंग की डिफाल्ट ब्लाॅकिंग, सिम के अवैधानिक प्रयोग और फ्रॉड कम्युनिकेशन पर भी रोक लगाने की मांग होती रही है।
टेलीकम्युनिकेशन विभाग के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट (एआइ एंड डीआइयू) की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग दो करोड़ लोगों के पास निर्धारित से अधिक मोबाइल कनेक्शन हैं। जबकि, देश में प्रति व्यक्ति कनेक्शन प्राप्त करने की सीमा तय की गई है।
जांच में ऐसे सिम भी चिह्नित किए गए, जिन्हें सर्विस प्रदाता द्वारा बल्कि कनेक्शन के बजाय व्यक्तिगत कनेक्शन के रूप में सूचीबद्ध कर दिया गया। अधिकांश मामलों में कनेक्शन के लिए फर्जी डॉक्यूमेंट लगाया गया।
रिपोर्ट बताती है कि 21 लाख से अधिक सिम को एक्टिवेट करने के लिए अवैध, फर्जी, अस्तित्वहीन और जाली दस्तावेजों का प्रयोग हुआ है। इनमें अधिकांश कनेक्शन का प्रयोग साइबर अपराध या फ्रॉड के लिए किया गया। अवैध नामों से जारी सिम की निगरानी और कार्रवाई करना जांच एजेंसियों के लिए मुश्किल होता है।