
टेक्नोलॉजी डेस्क: टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) और डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (DoT) ने मोबाइल उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है: अब कॉल आने पर सिर्फ नंबर ही नहीं, कॉल करने वाले का नाम भी मोबाइल स्क्रीन पर दिखाई देगा। यह सुविधा Calling Name Presentation (CNAP) के नाम से जानी जाएगी और इसमें वही नाम दिखेगा जो संबंधित व्यक्ति ने अपने मोबाइल नंबर के लिए KYC में दर्ज करवाया हुआ है।

सरकार ने इस सुविधा को डिफ़ॉल्ट रूप से सक्रिय रखने का फैसला किया है, ताकि उपयोगकर्ताओं को अलग से कोई सेटिंग बदलने की आवश्यकता न पड़े। साथ ही यह भी व्यवस्था रही कि यदि कोई उपयोगकर्ता चाहें तो वे इस सेवा को बंद करवा सकेंगे। इससे धोखाधड़ी और स्पैम कॉल का मुकाबला करने में मदद मिलने की उम्मीद है और थर्ड-पार्टी कॉलर-आईडी ऐप्स पर निर्भरता कम होगी।
यह कदम अचानक नहीं आया है। फरवरी 2024 में TRAI ने CNAP सेवा के प्रस्ताव को रखा था। उस प्रारूप में पिछले विचारों के अनुसार यह फीचर केवल उन्हीं ग्राहकों तक पहुंचेगा जो इसकी मांग करेंगे, परंतु DoT ने TRAI को सुझाव दिया कि इसे सभी उपयोगकर्ताओं के लिए डिफ़ॉल्ट रूप से उपलब्ध कराया जाना चाहिए। अंततः TRAI ने DoT की सलाह को स्वीकार कर लिया और दोनों विभाग इस नई व्यवस्था पर सहमत हो गए।
#TRAI has issued its response to DoT’s back-reference on the proposal to display the caller’s name on phone screens—even if the number isn’t saved. This feature, called Calling Name Presentation (#CNAP), aims to improve caller ID.
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— TRAI (@TRAI) October 28, 2025
इससे पहले पिछले वर्ष मुंबई व हरियाणा सर्किल में इस सेवा का ट्रायल किया गया था, जिससे तकनीकी व्यवहार्यता और उपयोग-प्रतिक्रिया का परीक्षण हो सका। ट्रायल के परिणामों व सलाहों के बाद ही यह निर्णय अंतिम रूप में लिया गया है। इससे मोबाइल उपयोगकर्ताओं को मिलने वाला लाभ व्यापक होगा क्योंकि कॉलर-नेम की जानकारी मिलने पर अनजान या संदिग्ध कॉल्स की पहचान सहज हो जाएगी।
हालांकि कुछ विशेष वर्गों को इस व्यवस्था से छूट दी जाएगी। जिन लोगों ने Calling Line Identification Restriction (CLIR) सुविधा ली होगी। जैसे कि कुछ इंटेलिजेंस एजेंसियों, VIPs और चुनिंदा अन्य व्यक्तियों, उनके मामले में नाम स्क्रीन पर नहीं दिखाया जाएगा। जिन आवेदकों के लिए CLIR की आवश्यकता होगी, उनके आवेदन की पूरी जांच-पड़ताल की जाएगी ताकि सुरक्षा और गोपनीयता दोनों का ध्यान रखा जा सके।
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इस फैसले के बाद मोबाइल नेटवर्क ऑपरेटरों और सेवा-प्रदान करने वाले तकनीकी प्लेटफ़ॉर्मों को आवश्यक बदलाव करने होंगे ताकि KYC-लिंक्ड नाम सुरक्षित तरीके से प्रस्तुत किए जा सकें। उपयोगकर्ताओं के लिए सहज अनुभव सुनिश्चित करने के साथ-साथ गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के मानदंडों का पालन भी अनिवार्य होगा।