डिजिटल डेस्क। पूर्वोत्तर रेलवे ने ट्रेनों के निर्बाध संचालन और नेटवर्क क्षमता बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। रेलवे बोर्ड के निर्देश पर गोरखपुर कैंट, देवरिया, कप्तानगंज, घुघली, सिवान और छपरा सहित कुल 15 स्थानों पर नई बाईपास रेल लाइनों के निर्माण की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए सर्वे का काम तेज़ी से चल रहा है। इनमें से गोरखपुर जंक्शन को बाईपास करने वाली मगहर से सरदारनगर तक लगभग 35 किमी लंबी रेल लाइन की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार हो चुकी है। रेलवे बोर्ड से मंजूरी मिलते ही निर्माण कार्य आरंभ कर दिया जाएगा।
नई बाईपास रेल लाइन सहजनवां-दोहरीघाट नई रेल लाइन से होकर गुज़रेगी। इसके पूरा होने पर छपरा-गोंडा रूट की मालगाड़ियां अब गोरखपुर जंक्शन में प्रवेश किए बिना सीधे सरदारनगर से मगहर होते हुए गोंडा तक जा सकेंगी। इससे न केवल ट्रेनों की आवाजाही तेज़ होगी, बल्कि जंक्शन पर भीड़ और संचालन का दबाव भी घटेगा।
जानकारों के अनुसार, बाराबंकी-गोंडा-गोरखपुर-छपरा मुख्य रेलमार्ग के साथ-साथ कई साइड लाइनों पर भी बाईपास रेलमार्ग बनाए जा रहे हैं। इन बाईपास लाइनों से ट्रेनों की गति, समयपालन और ट्रैक क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा। साथ ही, गोरखपुर समेत सभी प्रमुख स्टेशनों पर लोड कम होगा, जिससे नई यात्री ट्रेनों के संचालन की संभावना बढ़ जाएगी।
गोरखपुर जंक्शन मगहर-सरदारनगर बाईपास रेल लाइन 35 किमी
गोरखपुर कैंट बाईपास वाई कनेक्शन-कुसम्ही से उनौला के बीच 12 किमी
कप्तानगंज बाईपास लाइन- लक्ष्मीगंज से घुघली के बीच 08.50 किमी
घुघली बाईपास रेल लाइन वाई कनेक्शन- 02 किमी
सहजनवां-दोहरीघाट नई रेललाइन पर मगहर वाई कनेक्शन लाइन
मनकापुर-मनकापुर-झिलाही-टिकरी वाई कनेक्शन नई रेल लाइन
इंदारा बाईपास लाइन- किड़िहरापुर-रतनपुरा के बीच 16 किमी
औड़िहार बाईपास- सादात से सैदपुर भितरी के बीच 20 किमी
मऊ बाईपास- खुरहट से पिपरीडीह के बीच 15 किमी
वाराणसी जंक्शन बाईपास- सारनाथ से हरदत्तपुर के बीच 32 किमी
डालीगंज बाईपास- बादशाहनगर से महिबुल्लापुर के बीच 06 किमी
लालकुआं बाईपास- हल्दीरोड से पंतनगर के बीच 07 किमी
सीतापुर वाई कनेक्शन- सीतापुर सिटी से बहराइच के बीच 99 किमी
सिवान बाईपास- जिरादेई से अमलोरी के बीच 11.75 किमी
छपरा बाईपास- टेकनिवास से छपरा ग्रामीण के बीच 12 किमी
अधिकांश बाईपास रेल लाइनें मालगाड़ियों के लिए समर्पित होंगी। मुख्य रेलमार्गों से होकर यात्री ट्रेनें चलेंगी, जबकि बाईपास मार्गों से भारी मालगाड़ियों का संचालन “रनथ्रू” यानी बिना रुके किया जाएगा। विशेष परिस्थितियों में ब्लॉक के दौरान यात्री ट्रेनों के संचालन के लिए भी इन बाईपास लाइनों का उपयोग किया जा सकेगा।
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इन नई रेल लाइनों से न केवल ट्रेनों की समयबद्धता सुधरेगी, बल्कि नेटवर्क पर दबाव घटने से यात्रियों को बेहतर सुविधा और अधिक ट्रेनें मिलने की संभावना भी बढ़ेगी। साथ ही, रेलवे को भी मालगाड़ियों के संचालन में सुगमता और ईंधन की बचत का फायदा होगा।