एजेंसी, मिर्जापुर। विकासखंड क्षेत्र के मिर्जापुर गांव में पत्नी की लंबी आयु की कामना के लिए एक व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया व्रत अब परंपरा का रूप ले चुका है। इस परंपरा में न सिर्फ अधेड़ बल्कि युवा भी आगे आकर अपनी जीवनसंगिनी के लिए हर साल व्रत रखते हैं।
पहले मजाक उडाया गया
शुरुआत में इस व्रत को लेकर मजाक उड़ाया गया था, लेकिन अब युवा भी इससे प्रेरित हो रहे हैं। दर्जनों लोग इस व्रत को निभाकर पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने का माध्यम मानते हैं। इस साल भी कई जोड़ों ने इस परंपरा का पालन किया।
पत्नी पंचमी व्रत की शुरुआत कवि और साहित्यकार डॉ. प्रमोद कुशवाहा ने की थी। शुरू में इसे लोग गंभीरता से नहीं लेते थे, लेकिन जब समाज में महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण की बातें तेज हुईं तो युवाओं ने इसे नई सोच के रूप में अपनाया। उनका कहना है कि पति-पत्नी जीवन की डोर हैं और इस रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए पुरुषों को भी अपनी पत्नी के मंगल जीवन की कामना करनी चाहिए।
करीब पांच साल पहले मिर्जापुर गांव से शुरू हुई यह परंपरा अब सफीपुर ही नहीं, बल्कि आसपास के जनपदों में भी फैल चुकी है। बड़ी संख्या में पुरुष इस दिन व्रत रखते हैं और सूर्यास्त के बाद पत्नियों से व्रत तुड़वाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं।
इन लोगों ने रखा व्रत
इस वर्ष भी डॉ. प्रमोद कुशवाहा, बलराम मिश्र, राजेश शर्मा, शिक्षक उमेश मौर्या, सुधीर मौर्य, रुद्र तिवारी, डॉ. संतोष विश्वकर्मा, प्रधान प्रतिनिधि सुनील कुशवाहा, संजीव कुशवाहा, विमलेश कुशवाहा, राजेश कुशवाहा, पुत्तन सिंह और अनूप हिंदू समेत कई लोगों ने अपनी पत्नियों के लिए व्रत रखा। समापन पर पत्नियों ने व्रत तुड़वाकर अपने पतियों को आशीर्वाद दिया। पत्नी पंचमी व्रत अब नई सामाजिक सोच का प्रतीक बनता जा रहा है।