वाराणसी और गोरखपुर के बीच भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की तैयारी
UP News: रेलवे मंत्रालय के सहयोग से वाराणसी-गोरखपुर के बीच देश की पहली हाइड्रोजन-ईंधन आधारित ट्रेन चलाने की योजना तैयार की जा रही है। यह परियोजना हाइड्रोजन के भंडारण, परिवहन और विभिन्न उपयोगों की संचालन क्षमता का व्यापक परीक्षण करेगी।
Publish Date: Thu, 11 Dec 2025 03:11:04 PM (IST)
Updated Date: Thu, 11 Dec 2025 03:12:26 PM (IST)
वाराणसी और गोरखपुर के बीच हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की तैयारी।HighLights
- ग्रीन हाइड्रोजन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की मंजूरी
- 50 % अवसंरचना एमएमएमयूटी गोरखपुर में विकसित होगी
- फोकस बायोमास आधारित हाइड्रोजन उत्पादन तकनीकों पर
डिजिटल डेस्कः उत्तर प्रदेश को स्वच्छ ऊर्जा समाधानों का हब बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने IIT BHU और मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी), गोरखपुर में संयुक्त रूप से ग्रीन हाइड्रोजन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की मंजूरी दे दी है। यह पहल अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) द्वारा अनुमोदित है।
इस सेंटर का क्या होगा उद्देश्य?
इस सेंटर का उद्देश्य प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन से संबंधित अनुसंधान, तकनीकी विकास और औद्योगिक उपयोग को गति देना है। इसके तहत रेलवे मंत्रालय के सहयोग से वाराणसी-गोरखपुर के बीच देश की पहली हाइड्रोजन-ईंधन आधारित ट्रेन चलाने की योजना तैयार की जा रही है। यह परियोजना हाइड्रोजन के भंडारण, परिवहन और विभिन्न उपयोगों की संचालन क्षमता का व्यापक परीक्षण करेगी।
हाइड्रोजन चालित बस सेवा की तैयारी
इसी क्रम में यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) भी बनारस से गोरखपुर के बीच हाइड्रोजन-चालित बस सेवा शुरू करने की तैयारी कर रहा है, जिससे यह क्षेत्र स्वच्छ और टिकाऊ परिवहन समाधानों का प्रमुख केंद्र बन सके। परियोजना से जुड़ी लगभग 50 प्रतिशत अवसंरचना एमएमएमयूटी गोरखपुर में विकसित होगी, जिससे पूर्वी उत्तर प्रदेश के तकनीकी ढांचे को नई मजबूती मिलेगी।
IIT BHU इस सेंटर का लीड इंस्टीट्यूशन होगा
IIT BHU इस सेंटर का लीड इंस्टीट्यूशन होगा और अनुसंधान नेतृत्व, रणनीतिक दिशा तथा तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान करेगा। सेरामिक इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. प्रीतम सिंह को परियोजना का समन्वयक नियुक्त किया गया है। टीम में डॉ. जे. वी. तिर्की, डॉ. अखिलेंद्र प्रताप सिंह और डॉ. आशा गुप्ता भी शामिल हैं।
फोकस बायोमास-आधारित हाइड्रोजन उत्पादन तकनीकों पर
डॉ. प्रीतम सिंह के अनुसार, उत्तर प्रदेश में बायोमास की पर्याप्त उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए सेंटर का मुख्य फोकस बायोमास-आधारित हाइड्रोजन उत्पादन तकनीकों पर होगा, क्योंकि यह इलेक्ट्रोलाइज़र आधारित उत्पादन से अधिक व्यवहारिक और किफायती है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में एक समर्पित इनक्यूबेशन हब भी स्थापित किया जाएगा, जो ग्रीन हाइड्रोजन और क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजी में नवाचार को बढ़ावा देगा।
हब-एंड-स्पोक मॉडल अपनाया जाएगा
यह इनक्यूबेशन हब प्रति वर्ष 10 स्टार्टअप, यानी पांच वर्षों में कुल 50 स्टार्टअप को तकनीकी मार्गदर्शन, मेंटरशिप और शोध संसाधन उपलब्ध कराएगा। राज्यस्तरीय तकनीकी एकीकरण के लिए हब-एंड-स्पोक मॉडल अपनाया जाएगा, जिसमें IIT BHU हब के रूप में और आसपास के इंजीनियरिंग कॉलेज स्पोक के रूप में कार्य करेंगे। इन संस्थानों को पाठ्यक्रम विकास, प्रशिक्षण, फैकल्टी विकास और तकनीकी प्रदर्शनियों का लाभ दिया जाएगा। साथ ही सेंटर सरकार को नीतिगत सुझाव भी उपलब्ध कराएगा।
वैज्ञानिक उत्कृष्टता और नवाचार के प्रति प्रतिबद्ध IIT BHU
IIT BHU के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने कहा कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का नेतृत्व करना संस्थान के लिए सम्मान की बात है। वाराणसी-गोरखपुर के बीच प्रस्तावित हाइड्रोजन-आधारित ट्रेन और बस सेवाएं भारत की ऊर्जा परिवर्तन यात्रा में ऐतिहासिक उपलब्धि साबित होंगी। उन्होंने कहा कि संस्थान इस मिशन को वैज्ञानिक उत्कृष्टता, नवाचार और सर्वोत्तम गुणवत्ता के साथ आगे बढ़ाने के लिए पूर्णत: प्रतिबद्ध है।