अगर आपकी जमीन भी हो रही है बीमार तो जांचे मिट्टी की 'नब्ज' और बढ़ाएं पैदावार
UP News: किसान अब अपने खेत की मिट्टी की वैज्ञानिक जांच कराकर यह जान सकते हैं कि जमीन में किन पोषक तत्वों की कमी या अधिकता है और कौन सी फसल उनकी मिट्टी ...और पढ़ें
Publish Date: Mon, 29 Dec 2025 04:57:00 PM (IST)Updated Date: Mon, 29 Dec 2025 04:57:00 PM (IST)
HighLights
- मिट्टी की इस बीमारी का स्थायी इलाज देसी खाद
- समय पर मिट्टी जांच कराने के हैं कई फायदे
- मिट्टी जांच खेती की पहली और सबसे अहम सीढ़ी
डिजिटल डेस्क। खेतों में घटती फसल पैदावार और बढ़ती खेती लागत से परेशान किसानों के लिए कृषि विभाग ने मिट्टी जांच की प्रक्रिया को अब और आसान व किफायती बना दिया है।
किसान अब अपने खेत की मिट्टी की वैज्ञानिक जांच कराकर यह जान सकते हैं कि जमीन में किन पोषक तत्वों की कमी या अधिकता है और कौन सी फसल उनकी मिट्टी के लिए सबसे उपयुक्त रहेगी।
जांच के लिए ये शुल्क निर्धारित
कृषि विभाग की मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में 12 पैरामीटर पर मिट्टी जांच के लिए मात्र 102 रुपये और छह पैरामीटर पर जांच के लिए सिर्फ 29 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है। किसान को अपने खेत से लगभग 500 ग्राम मिट्टी का नमूना लेकर प्रयोगशाला में जमा करना होगा।
जांच रिपोर्ट के आधार पर किसानों को उर्वरकों की सही मात्रा, उपयुक्त फसल चयन और मिट्टी सुधार को लेकर वैज्ञानिक सलाह दी जाएगी। इससे अनावश्यक रासायनिक खाद के प्रयोग पर रोक लगेगी और खेती की लागत में भी कमी आएगी।
समय पर मिट्टी जांच कराने के हैं फायदे
मुरादाबाद के ढक्का क्षेत्र में आश्रय आवासों के पीछे मृदा परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की गई है, जहां किसान सीधे मिट्टी का नमूना जमा करा सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर मिट्टी जांच कराने से न केवल पैदावार बढ़ती है, बल्कि जमीन की दीर्घकालिक उर्वरता भी बनी रहती है।
मिट्टी जांच खेती की पहली और सबसे अहम सीढ़ी
प्रभारी सहायक निदेशक मृदा परीक्षण हर्षित चौहान ने बताया कि मिट्टी जांच खेती की पहली और सबसे अहम सीढ़ी है। उन्होंने कहा कि बिना जांच के लगातार खाद डालने से मिट्टी बीमार हो रही है। जिले में मिट्टी की सेहत को लेकर चिंताजनक स्थिति सामने आई है।
सरकार द्वारा जिले के 160 गांवों को मिट्टी जांच के लिए चुना गया था, जिनमें से अब तक 120 गांवों की जांच पूरी हो चुकी है, जबकि शेष 40 गांवों में प्रक्रिया जारी है। जांच रिपोर्ट में मुरादाबाद जिले की मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की भारी कमी पाई गई है।
मिट्टी की इस बीमारी का स्थायी इलाज देसी खाद
कृषि विभाग के अनुसार इसका मुख्य कारण रासायनिक उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग है। विशेषज्ञों का मानना है कि मिट्टी की इस बीमारी का स्थायी इलाज देसी खाद, गोबर खाद और जैविक खेती को अपनाने में है। जब तक किसान इस सच्चाई को नहीं समझेंगे और संतुलित खेती की ओर कदम नहीं बढ़ाएंगे, तब तक मिट्टी की सेहत में सुधार संभव नहीं है।