
डिजिटल डेस्क। चंबल नदी में मगरमच्छ से पिता की जान बचाने वाले अजय राज के साहस और सूझबूझ को देश ने सलाम किया है। अजय जानता था कि मगरमच्छ उससे कई गुना ताकतवर है और पल भर में जान ले सकता है, लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी। लाठी से लगातार वार कर उसने पहले मगरमच्छ के मुंह और फिर आंखों को निशाना बनाया, जिससे पिता की जान बच सकी।
अजय के इसी साहसिक कार्य के लिए शुक्रवार को नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उसे प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार-2025 (साहस श्रेणी) से सम्मानित किया। यह पुरस्कार 25 जुलाई को मगरमच्छ के हमले से पिता को बचाने के लिए दिया गया। सम्मान के तहत अजय को मेडल, प्रशस्ति पत्र और एक लाख रुपये प्रदान किए गए। पुरस्कार मिलने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अजय को बधाई दी।
चंबल नदी में हुआ था हादसा
झरनापुरा, बासौनी बाह निवासी वीरभान उर्फ बंटू 25 जुलाई 2025 की दोपहर करीब दो बजे चंबल नदी किनारे बकरियां चरा रहे थे। उनके साथ उनका 10 वर्षीय बेटा अजय राज भी मौजूद था। पानी भरने के दौरान मगरमच्छ ने वीरभान का दायां पैर पकड़ लिया और गहरे पानी की ओर खींचने लगा।
पिता की आवाज सुनते ही अजय लाठी लेकर नदी में कूद पड़ा। उसने पहले मगरमच्छ के मुंह पर करीब 10 वार किए। जब पकड़ नहीं छूटी तो उसने चतुराई दिखाते हुए आंखों पर लगातार पांच वार किए। आंखों में चोट लगते ही मगरमच्छ घबरा गया और पैर छोड़कर भाग गया।
प्रशासन और नेताओं ने सराहा साहस
अजय ने पिता को सहारा देकर सुरक्षित नदी से बाहर निकाला। इस बहादुरी की हर ओर सराहना हुई। जिला प्रशासन ने अगस्त में अजय का नाम प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के लिए भेजा था। जांच के बाद नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने उसे सम्मानित किया, जहां उसकी साहसिक कहानी भी सुनाई गई।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अजय ने अदम्य साहस, त्वरित बुद्धि और अद्भुत धैर्य का परिचय दिया है। यह साहस देशभर के बच्चों के लिए प्रेरणा है।
कक्षा चार का छात्र है अजय
अजय राज प्राथमिक विद्यालय कुंवरखेड़ा में कक्षा चार का छात्र है। पुरस्कार मिलने के बाद गांव में खुशी का माहौल है। छह साल पहले अजय की मां आरती देवी का बीमारी से निधन हो गया था। उसकी बड़ी बहन काजल और छोटा भाई कुशाल हैं। पूरे परिवार को अजय के साहस पर गर्व है।