एजेंसी, लखनऊ: सीतापुर के हुमायूंपुर निवासी मुनीष त्रिवेदी कई दिनों से बुखार से पीड़ित थे। इलाज कराने के लिए उनके परिजन आयुष त्रिवेदी सबसे पहले जिला अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां की स्थिति देखकर वे परेशान हो गए। एक-एक बेड पर दो-दो मरीज भर्ती थे, ऐसे में उन्हें अपने मरीज के लिए जगह नहीं मिली। मजबूरी में वे नगर स्थित साई संजीवनी अस्पताल पहुंचे।
आयुष त्रिवेदी ने बताया कि मुनीष का आयुष्मान कार्ड (Ayushman Card) बना हुआ है। जब अस्पताल के कर्मचारियों को कार्ड की जानकारी दी गई तो उन्होंने इलाज से इनकार कर दिया। कर्मियों ने कहा कि यहां सिर्फ सर्जरी की सुविधा है, सामान्य बीमारी के लिए आयुष्मान कार्ड मान्य नहीं है। इलाज कराना है तो रुपये जमा करो।
मजबूरन परिजनों ने पहले 1600 रुपये जमा किए, जिसके बाद मरीज को देखा गया। इसके बाद तीन हजार रुपये और लेकर भर्ती कर इलाज शुरू किया गया। कुल मिलाकर 4600 रुपये वसूल लिए गए।
आयुष ने बताया कि अस्पताल प्रशासन से मिलने की कोशिश की गई, लेकिन किसी ने बात नहीं की। बाद में हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत भी दर्ज कराई, लेकिन अब तक न तो पैसे लौटाए गए और न ही उचित कार्रवाई हुई।
अस्पताल की ओर से मुख्य संचालक गौरव श्रीवास्तव ने सफाई देते हुए कहा कि मरीज को न्यूरो की समस्या थी और अस्पताल में इस बीमारी की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में परिजनों को पैसे वापस लौटा दिए गए हैं।
नोडल अधिकारी (आयुष्मान) स्वास्थ्य विभाग डॉ. अभिज्ञान सिंह ने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी। अगर अस्पताल कर्मियों की लापरवाही साबित हुई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना आयुष्मान योजना की जमीनी हकीकत पर सवाल खड़े करती है, जिसमें गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज का वादा किया जाता है, लेकिन कई बार अस्पतालों की मनमानी के चलते उन्हें जेब से पैसा खर्च करना पड़ता है।
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