
डिजिटल डेस्क। उत्तर प्रदेश को डिजिटल, एआई और पर्यावरण-समर्थित नौकरियों का हब बनाने की दिशा में सरकार तेजी से कदम बढ़ा रही है। युवाओं पर फोकस करते हुए शुरू की गई नई योजनाओं को विकसित यूपी, विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को हासिल करने का महत्वपूर्ण जरिया माना जा रहा है।
प्रदेश में जल्द ही लखनऊ, गोरखपुर, झांसी, वाराणसी और मुजफ्फरनगर में बड़े पैमाने पर रोजगार मेलों का आयोजन किया जाएगा। इन कार्यक्रमों में 100 से अधिक कंपनियां शामिल होंगी और युवाओं को 15 हजार से अधिक रोजगार अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे पहले लखनऊ में हुए तीन दिवसीय रोजगार महाकुंभ में करीब 100 कंपनियों ने 50 हजार से अधिक युवाओं को नौकरी दी थी।
वर्ष 2017 से अब तक स्किल इंडिया मिशन और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना के तहत 5.66 लाख से अधिक ITI और पॉलिटेक्निक प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार मिल चुका है। प्रदेश के 2,800 से अधिक प्रशिक्षण केंद्रों के जरिए उद्योगों की जरूरतों के मुताबिक कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे बेरोजगारी में उल्लेखनीय कमी देखने को मिली है।
युवाओं के कौशल विकास और गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण को मजबूत बनाने के लिए 1,747 प्रशिक्षण साझेदारों का चयन किया गया है। इनके सहयोग से युवा डिजिटल मार्केटिंग, ईवी मैन्युफैक्चरिंग, एआई और अन्य व्यावसायिक क्षेत्रों में दक्ष हो रहे हैं। राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्थापित स्टार्टअप इंक्यूबेटर्स ने युवा उद्यमिता को भी नया आयाम दिया है।
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सरकार की ये पहलें न केवल ग्रामीण युवाओं बल्कि महिलाओं, ओबीसी, एससी-एसटी समुदायों को भी मजबूत आधार दे रही हैं। इसके साथ ही, हर जिले में चलाया जा रहा मासिक सेवायोजन अभियान युवाओं को सीधे उद्योगों और नियोक्ताओं से जोड़ने में अहम भूमिका निभा रहा है।