एजेंसी, लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Oreder On Teachers) के ताज़ा आदेश से उत्तर-प्रदेश के हजारों शिक्षकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। SC ने पहली से आठवीं कक्षा तक पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करना अनिवार्य कर दिया है। इस निर्णय के बाद बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक सामने आए हैं जो न्यूनतम योग्यता के अभाव में आवेदन ही नहीं कर पाएंगे।
शिक्षक संगठनों के अनुसार, करीब 50 हजार से अधिक कार्यरत शिक्षक इस आदेश से प्रभावित होंगे। इनमें पांच श्रेणियों के शिक्षक प्रमुख रूप से शामिल हैं—
वर्ष 2000 से पहले नियुक्त शिक्षक, स्नातक में कम अंक पाने वाले, बीएड धारक व विशिष्ट BTC (बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट) नियुक्तियां, मृतक आश्रित नियुक्त शिक्षक व डीपीएड (डिप्लोमा इन फिजिकल एजुकेशन) व बीपीएड (बैचलर ऑफ फिजिकल एजुकेशन) शिक्षक इन कैटेगरी में शामिल हैं।
कई कार्यरत शिक्षक न तो BTC धारक हैं और न ही स्नातक में न्यूनतम अंकों की शर्त पूरी कर पाते हैं। ऐसे में, वे आवेदन करने से भी वंचित हो जाएंगे।
प्रदेश के विभिन्न शिक्षक संगठन इस फैसले से चिंतित हैं और सरकार से हस्तक्षेप की अपील कर रहे हैं। संगठनों ने कहा है कि बड़ी संख्या में शिक्षक वर्षों से सेवा दे रहे हैं, लेकिन नए नियमों के चलते उनका भविष्य अधर में लटक सकता है। कई संगठन संयुक्त मोर्चा बनाकर इस मामले को दोबारा सुप्रीम कोर्ट में उठाने की तैयारी कर रहे हैं।
शिक्षक नेताओं का कहना है कि सरकार को इस आदेश पर पुनर्विचार करना चाहिए और कार्यरत शिक्षकों को राहत देने के लिए विशेष प्रावधान बनाने चाहिए। अन्यथा, हजारों परिवारों की आजीविका प्रभावित होगी और शिक्षा व्यवस्था पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।
यह भी पढ़ें- UP Crime: कैंटीन कर्मी की हैवानियत, 20 लड़कियों से दरिंदगी कर किया ब्लैकमेल, सेक्स रैकेट में धकेला