
डिजिटल डेस्क। उत्तर प्रदेश की राजधानी में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स (CBN) के अधिकारियों की घूसखोरी का मामला अब अदालत की चौखट तक पहुंच गया है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस बहुचर्चित रिश्वतकांड की जांच पूरी करते हुए चार्जशीट दाखिल कर दी है। यह वही मामला है, जिसमें सीबीएन के तीन निरीक्षकों को दस लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था।
मामला 26 अगस्त का है, जब सीबीआई ने लखनऊ स्थित सीबीएन के महानगर कार्यालय पर छापा मारकर तीन निरीक्षकों—महिपाल सिंह, रवि रंजन और आदर्श योगी—को गिरफ्तार किया था। जांच में यह सामने आया कि इन अधिकारियों ने एक निजी अस्पताल के संचालक से मुकदमे से बचाने के बदले भारी रकम की मांग की थी।
जानकारी के अनुसार, नारकोटिक्स ब्यूरो को गुप्त सूचना मिली थी कि कुर्सी रोड स्थित देवा नर्सिंग होम के मालिक गयासुद्दीन अहमद प्रतिबंधित दवा कोडीन सहित अन्य निषिद्ध औषधियों की खरीद-बिक्री में लिप्त हैं। सूचना पर कार्रवाई करते हुए निरीक्षक महिपाल सिंह ने गयासुद्दीन अहमद को पूछताछ के लिए महानगर स्थित कार्यालय में बुलाया था।
पूछताछ के बहाने, निरीक्षक महिपाल सिंह ने अपने दो सहयोगियों—रवि रंजन और आदर्श योगी—के साथ मिलकर गयासुद्दीन अहमद से मुकदमे से राहत दिलाने के बदले दस लाख रुपये की रिश्वत की मांग की। जांच में यह भी सामने आया कि इस अवैध सौदे को कराने में बाराबंकी केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के पदाधिकारी संतोष जायसवाल (जिलाध्यक्ष) और सुनील जायसवाल (ब्लॉक अध्यक्ष) ने बिचौलियों की भूमिका निभाई थी।
सीबीआई की छानबीन में पाया गया कि दोनों पदाधिकारी अक्सर नारकोटिक्स विभाग से जुड़े मामलों में सम्मन पाने वाले दवा कारोबारियों से संपर्क करते और पैसे लेकर उनके मामलों को “रफा-दफा” कराने की कोशिश करते थे।
जैसे ही सीबीआई को इनकी गतिविधियों की ठोस जानकारी मिली, एजेंसी ने 26 अगस्त को लखनऊ के महानगर स्थित सीबीएन कार्यालय पर छापा मारा। इस कार्रवाई में निरीक्षक महिपाल सिंह, रवि रंजन, और रिश्वत देने वाले देवा नर्सिंग होम के संचालक गयासुद्दीन अहमद को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया गया। उसी रात सीबीआई ने घूसकांड में शामिल एक अन्य निरीक्षक आदर्श योगी को भी दबोच लिया।
जांच पूरी होने के बाद सीबीआई ने विशेष न्यायाधीश की अदालत में विस्तृत चार्जशीट दाखिल कर दी है। इसमें सीबीएन निरीक्षक महिपाल सिंह, रवि रंजन, आदर्श योगी, संतोष जायसवाल, सुनील जायसवाल, गयासुद्दीन अहमद, और उनके पुत्र कौकब अहमद को आरोपी बनाया गया है।
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सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यह गिरोह संगठित रूप से काम करता था और नारकोटिक्स से जुड़े मामलों में धन लेकर जांच प्रभावित करने की कोशिश करता था। एजेंसी ने चार्जशीट में कहा है कि सरकारी सेवा में रहते हुए इस तरह की भ्रष्ट गतिविधियां न केवल कानून का उल्लंघन हैं बल्कि प्रशासनिक तंत्र की साख को भी गहरा धक्का पहुंचाती हैं।
अदालत अब इस मामले की सुनवाई की तैयारी में है। सीबीआई को उम्मीद है कि ठोस साक्ष्यों के आधार पर सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई होगी। यह मामला न केवल सीबीएन बल्कि उन सभी जांच एजेंसियों के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है, जो संवेदनशील पदों पर कार्यरत हैं।