
डिजिटल डेस्क: लखनऊ में सैकड़ों मतांतरण कराने वाले जलालुद्दीन उर्फ छांगुर के नेटवर्क के खुलासे के बाद भी प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। पुराने लखनऊ में आज भी 111 गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे संचालित हो रहे हैं, जिनकी गतिविधियों पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं है। यह स्थिति तब है जब शासन स्तर से बार-बार ऐसे मदरसों पर कार्रवाई के निर्देश दिए जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, प्रशासन को इन मदरसों की जानकारी है। दरअसल, दो वर्ष पूर्व नेपाल सीमा से सटे जिलों में मदरसों में संदिग्ध गतिविधियां सामने आने के बाद सरकार ने व्यापक जांच के आदेश दिए थे। इसके तहत लखनऊ प्रशासन ने 200 से अधिक मदरसों की जांच की थी। जिला प्रशासन, पुलिस और मदरसा बोर्ड की संयुक्त टीम ने कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर किए थे।
जांच रिपोर्ट में सामने आया कि लखनऊ में कुल 99 मदरसे पंजीकृत हैं, जिनमें 19 अनुदानित मदरसे हैं। इसके अलावा 111 मदरसे बिना किसी पंजीकरण के धार्मिक संस्थाओं द्वारा संचालित किए जा रहे हैं। इन संस्थाओं से फंडिंग मिलने की बात भी सामने आई। जांच के दौरान टीम को इन मदरसों की आय-व्यय का कोई स्पष्ट ब्योरा नहीं मिला।
कई मदरसों के संचालक यह नहीं बता सके कि वहां कितने बच्चे पढ़ते हैं। जो रजिस्टर दिखाए गए, उनमें दर्ज छात्रों के पते भी अधूरे पाए गए। अधिकांश बच्चों को केवल धार्मिक शिक्षा दी जा रही थी, जबकि सामान्य शिक्षा का कोई प्रावधान नहीं था।
यह लापरवाही तब और गंभीर हो जाती है जब गत वर्ष दुबग्गा स्थित आतुल कासिम अल इस्लामिया मदरसे से पुलिस ने 21 बच्चों को मुक्त कराया था। बताया गया कि इन बच्चों को बिहार से लाकर यहां रखा गया था और उन्हें कट्टरपंथी विचारधारा की शिक्षा दी जा रही थी। ऐसी शिकायतें पहले भी कई मदरसों के खिलाफ आती रही हैं।
इतना ही नहीं, जुलाई 2021 में काकोरी के सीते विहार कॉलोनी में एटीएस ने छापा मारकर अलकायदा के एक संदिग्ध आतंकी को गिरफ्तार किया था। इससे पहले 2017 में आइएस आतंकी सैफुल्ला इसी क्षेत्र में मुठभेड़ में मारा गया था। इन घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों को चिंतित किया था, लेकिन अब तक स्थिति में कोई बड़ा सुधार नहीं दिखता।
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जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सोम कुमार ने बताया कि अवैध मदरसों की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। शासन स्तर पर नए नियमावली तैयार की जा रही है और निर्देश मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।