एजेंसी,लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की कि उत्तर प्रदेश में जल्द ही साइबर मुख्यालय की स्थापना होगी। उन्होंने कहा कि बदलते समय की चुनौतियों से निपटने के लिए हमें तकनीक आधारित सुरक्षा उपाय अपनाने होंगे। वर्तमान में प्रदेश के सभी जिलों में साइबर थाने और प्रत्येक थाने में साइबर हेल्प डेस्क स्थापित हो चुकी है। फारेंसिक विज्ञान की मदद से अपराधों को तेजी से सुलझाया जा रहा है। पहले जहां अपराधी पुलिस को परेशान करते थे, अब 24 से 48 घंटों में बड़े अपराध भी सुलझा लिए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने सोमवार को यूपी स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस (UPSIFS) में “साइबर युद्ध के आयाम, बहुपक्षीय कानूनी ढांचे, फारेंसिक और रणनीतिक प्रतिकार” विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय समिट का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि संस्थान के तीसरे स्थापना दिवस पर हो रहा यह विचार मंथन ज्ञान का अमृत देगा। योगी ने कहा कि महाकुंभ की तरह यह सम्मेलन भी भारत की ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ा रहा है।
योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा
उन्होंने बताया कि 2017 से पहले प्रदेश में केवल चार फारेंसिक प्रयोगशालाएं थीं, जिन्हें बढ़ाकर अब 12 कर दिया गया है और छह और बनाई जा रही हैं। जल्द ही सभी 18 रेंज में फारेंसिक लैब स्थापित होंगी। पिछली सरकार ने केवल एक साइबर थाना खोला था, जबकि भाजपा सरकार ने सभी जिलों में साइबर थाने और हेल्प डेस्क स्थापित कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में सभी ने साइबर वार का अनुभव किया, जहां ड्रोन और मिसाइलों के जरिए तकनीकी युद्ध लड़ा गया। ऐसे में तकनीक के जरिए सुरक्षा समाधान ही सबसे उपयुक्त है।
डीजीपी राजीव कृष्ण ने कहा कि पुलिस स्मार्ट पुलिसिंग की दिशा में आगे बढ़ रही है। भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अभिषेक सिंह ने कहा कि अब भारत तकनीक के मामले में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में है। भारतीय कंपनियां ई-मेल और ध्वनि आधारित एआई सिस्टम तक विकसित कर रही हैं। संस्थान के निदेशक डॉ. जीके गोस्वामी ने कहा कि साइबर अपराध से बचाव के लिए डाटा सुरक्षा और संरक्षण अनिवार्य है। कार्यक्रम में गृह विभाग के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद और आईटी विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग यादव भी उपस्थित रहे।