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डिजिटल डेस्क: मेरठ के कुरैशियान फलावदा के रहने वाले इमाम शहजाद (हाल निवासी लक्खीपुरा लिसाड़ी गेट) पर आरोप है कि उसने अपनी पत्नी नईमा यासमीन (निवासी डिब्रूगढ़, असम) की हत्या कर दी और 22 दिन बाद उसकी गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कराई। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब पुलिस ने शव मिलने की तारीख और गुमशुदगी दर्ज कराने की तारीख में असमानता देखी।
मुजफ्फरनगर के चरथावल थाने में 8 अक्टूबर को शहजाद ने अपनी पत्नी की गुमशुदगी दर्ज कराई और बताया कि नईमा 16 सितंबर से लापता है। लेकिन 17 सितंबर को जानी थाना क्षेत्र के सिवालखास में गंगनहर पटरी के बराबर एक लगभग 35 वर्षीय महिला का शव मिला था। पुलिस ने शव की फोटो और नईमा की तस्वीर मिलान की तो शहजाद को सूचना दी गई। इसी दौरान विसंगतियां सामने आईं।
पुलिस ने इमाम शहजाद को हिरासत में लेकर गहन पूछताछ की, जिस पर उसने हत्या की गम्भीर जिम्मेदारी स्वीकार कर ली। एसएसपी डा. विपिन ताडा ने बताया कि इस हत्याकांड का पर्दाफाश करने वाली पुलिस टीम को 25 हजार रुपये इनाम दिया गया है। जांच में यह भी पता चला कि शुरुआती दिनों में चरथावल थाने के लोगों और रिश्तेदारों को बताया गया था कि नईमा अपने मायके असम चली गई है।
मामले की पृष्ठभूमि में यह भी सामने आया कि नईमा और शहजाद की लाइफस्टाइल में भारी अंतर था। नईमा डिब्रूगढ़ की ग्रेजुएट थी और मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर चुकी थी, जबकि शहजाद केवल कक्षा पांच पास थे। बताया गया कि नईमा ने शहजाद के पहले निकाह के बारे में जानने के बाद दोनों के बीच विवाद बढ़ गया और नईमा मायके जाने या पुलिस शिकायत करने की धमकी देने लगी।
SSP के अनुसार नईमा मायके लौटने की बात कह रही थी और शहजाद ने उसे रोकने का प्रयास किया। जब नईमा ने विरोध किया तो शहजाद ने हत्या की पटकथा रच दी। पुलिस ने घटनास्थल और सबूतों के आधार पर सख्त कार्रवाई की और आरोपित को गिरफ्तार किया।
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