ठाकुर श्रीबांकेबिहारी को नहीं मिला सुबह का कलेऊ, 500 वर्षों में पहली बार टूटी परंपरा
UP News: दुनिया के पालनहार स्वामी ठाकुर बांकेबिहारीजी सोमवार को दर्शन देने को तो बैठे, लेकिन चेहरे पर प्रतिदिन जैसा भाव नजर नहीं आया। पेट पिचका सा लग ...और पढ़ें
Publish Date: Tue, 16 Dec 2025 03:03:35 PM (IST)Updated Date: Tue, 16 Dec 2025 03:04:23 PM (IST)
ठाकुर श्रीबांकेबिहारी को नहीं मिला सुबह का कलेऊ, 500 वर्षों में पहली बार टूटी परंपरा।HighLights
- ठाकुर बांकेबिहारी को सुबह का बालभोग नहीं मिला
- प्रातः दर्शन से पहले ठाकुर जी को कलेऊ अर्पित किया जाता है
- सोमवार सुबह पौने नौ बजे तक यह भोग नहीं लगाया गया
डिजिटल डेस्क। सोमवार को ठाकुर श्रीबांकेबिहारी भक्तों को दर्शन देने तो विराजे, लेकिन उनके श्रीमुख पर रोज जैसी बाल-लीला की छटा दिखाई नहीं दी। मानो उनका मुखमंडल यह संकेत दे रहा हो कि यशोदा मैया का लाला भूखा है।
भक्तों को ऐसा लगा जैसे ठाकुर स्वयं मौन भाव से कह रहे हों, जिन्हें मेरे सुबह के कलेऊ की जिम्मेदारी दी गई थी, उन्होंने आज मेरी ओर देखा तक नहीं। बाल स्वरूप में विराजने वाले इस लाला को सुबह का कलेऊ (बालभोग) न मिलना पीड़ा देने वाला दृश्य था।
पांच सौ वर्षों में यह पहली बार हुआ
पांच सौ वर्षों में यह पहली बार हुआ, जब ब्रज के दुलारे ठाकुर बांकेबिहारी को सुबह का बालभोग नहीं मिला। प्रतिदिन की परंपरा के अनुसार, प्रातः दर्शन से पहले ठाकुर जी को कलेऊ अर्पित किया जाता है, किंतु सोमवार सुबह पौने नौ बजे तक यह भोग नहीं लगाया गया। जैसे ही यह बात भक्तों तक पहुंची, मंदिर परिसर में भावुकता और पीड़ा का माहौल बन गया।
भक्तों ने कही ये बात
कानपुर के किदवई नगर से आए रजनीश ने कहा, जब ठाकुर जी पीड़ा में हैं, तो हम दर्शन कर कैसे सुखी मन से लौट सकते हैं। वहीं भरतपुर से आए शैलेंद्र सिंह ने व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि ठाकुर जी को भोग न मिलना पूरी तरह गलत है।
भक्तों के मन में यह प्रश्न उठता रहा कि कहीं यह प्रबंधन और सेवायतों के बीच टकराव का परिणाम तो नहीं है, लेकिन इस विषय पर जिम्मेदारों की ओर से चुप्पी ही बनी रही।
प्रतिदिन चार पहर भोग लगाया जाता है
गौरतलब है कि लगभग 500 वर्ष पूर्व प्रकट हुए ठाकुर श्रीबांकेबिहारी को प्रतिदिन चार पहर भोग लगाया जाता है। सुबह दर्शन से पूर्व बालभोग, दोपहर में मंदिर बंद होने से पहले राजभोग, शाम को पट खुलने पर उत्थापन भोग और रात में शयनभोग की परंपरा है।
भोग निर्माण की जिम्मेदारी हलवाई को दी जाती है, जो भोग तैयार कर सेवायतों को सौंपता है और सेवायत ठाकुर जी को भोग अर्पित करते हैं। सोमवार की यह घटना न केवल परंपरा के टूटने का विषय बनी, बल्कि भक्तों के हृदय को भी व्यथित कर गई।