डिजिटल डेस्क: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों (हिंदू, ईसाई, बौद्ध) पर हमले और यौन हिंसा तेजी (Attacks and sexual violence against Hindus, Christians, Buddhists Women in Bangladesh) से बढ़ रहे हैं। बांग्लादेश अल्पसंख्यक मानवाधिकार कांग्रेस (HRCBM) का कहना है कि अंतरिम सरकार का कानून व्यवस्था पर कोई नियंत्रण नहीं है। सिर्फ तीन महीने में 342 दुष्कर्म दर्ज किए गए, जिनमें ज्यादातर नाबालिग लड़कियां शामिल हैं। कई मामलों में सिरविहीन शव मिले हैं। भीड़ हिंसा और धार्मिक पूर्वाग्रह न्याय प्रणाली को कमजोर कर रहे हैं। वहीं पाकिस्तान से बढ़ते संबंधों ने यूनुस सरकार पर नए सवाल खड़े किए हैं।
तीन महीने में 342 दुष्कर्म
मानवाधिकार संगठन ऐन ओ सलिश केंद्र (एएसके) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 की पहली तिमाही में तीन महीने से भी कम समय में 342 दुष्कर्म दर्ज हुए। इनमें से 87% पीड़ित 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियां थीं। 40 मामले ऐसे थे, जिनमें पीड़ित छह साल से भी कम उम्र के बच्चे थे। रिपोर्ट का दावा है कि असली संख्या इससे कहीं अधिक है, क्योंकि भय और चुप्पी के कारण कई मामले सामने ही नहीं आते।
कई घटनाओं में महिलाओं और बच्चियों के सिरविहीन शव बरामद हुए हैं। यह स्थिति बांग्लादेश में बढ़ती क्रूरता को दिखाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अदालतों की बजाय अब भीड़ हिंसा न्याय का काम कर रही है। अगस्त 2024 से मई 2025 के बीच 174 लोग भीड़ हिंसा में मारे गए, जिनमें छोटे कारोबारी और राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल हैं।
धर्म आधारित भेदभाव के कारण कानून प्रवर्तन एजेंसियां और निचली अदालतें कई मामलों में निष्पक्ष कार्रवाई नहीं करतीं। इसका परिणाम यह है कि पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 150 से अधिक वकीलों को भी जेल भेजा गया है।
इस बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार दो दिन के बांग्लादेश दौरे पर जा रहे हैं। यह पिछले 30 सालों में पहली ऐसी यात्रा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पाकिस्तान से संबंध मजबूत करने की कोशिश कर रही है। हालांकि यह वही पाकिस्तान है जिसने 1971 में ऑपरेशन सर्चलाइट के दौरान 30 लाख लोगों की हत्या और तीन लाख महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया था।
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