
डिजिटल डेस्क। चीन ने रक्षा और संचार तकनीक के क्षेत्र में एक ऐसी सफलता हासिल की है जिसे 'गेम-चेंजर' माना जा रहा है। शियान स्थित शिडियन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी एडवांस सतह (Metasurface) तैयार की है, जो हवा में मौजूद इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल्स को बिजली में परिवर्तित करने में सक्षम है। इस तकनीक के सफल प्रयोग से भविष्य के फाइटर जेट्स और ड्रोन्स बिना पारंपरिक ईंधन के लंबे समय तक उड़ान भर सकेंगे।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, यह शोध 'इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कोऑपरेटिव स्टील्थ' (Electromagnetic Cooperative Stealth) पर आधारित है। अब तक स्टील्थ तकनीक का उद्देश्य केवल रडार की नजरों से छिपना होता था, लेकिन यह नई तकनीक एक कदम आगे बढ़कर दुश्मन के रडार सिग्नल्स को 'रिसोर्स' या ऊर्जा के संसाधन में बदल देती है। विमान की बॉडी पर लगी यह विशेष कोटिंग उन सिग्नल्स को सोख लेगी और उन्हें बिजली में बदल देगी, जिससे विमान के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम संचालित होंगे।
यह नया सिस्टम एक साथ दो महत्वपूर्ण मोर्चों पर काम करता है...
विशेषज्ञों का मानना है कि यह ब्रेकथ्रू चीन को 6G की वैश्विक दौड़ में बढ़त दिलाएगा। इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि विमान न केवल दुश्मन की नजरों से ओझल रहेगा, बल्कि दुश्मन जितनी ज्यादा कोशिश उसे रडार से खोजने की करेगा, विमान को उतनी ही ज्यादा ऊर्जा मिलती रहेगी। यह तकनीक ड्रोन्स के लिए भी वरदान साबित होगी, जो हफ्तों तक बिना लैंड किए निगरानी कर सकेंगे।
यूनिवर्सिटी टीम का दावा है कि इस इनोवेशन का उपयोग अगली पीढ़ी के इंटेलिजेंट स्टील्थ सिस्टम बनाने में किया जाएगा। यदि इसे बड़े पैमाने पर लागू किया गया, तो यह फाइटर जेट्स के डिजाइन को पूरी तरह बदल देगा। विमानों को अब भारी ईंधन टैंकों की कम और ऐसी 'स्मार्ट सरफेस' की ज्यादा जरूरत होगी जो पृथ्वी और अंतरिक्ष से आने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल्स को बिजली में बदल सकें।
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