एजेंसी, टेक्सास। अमेरिका के टेक्सास में 90 फुट ऊंची भगवान हनुमान की प्रतिमा को लेकर सियासी और धार्मिक विवाद छिड़ गया है। टेक्सास सीनेट चुनाव के रिपब्लिकन उम्मीदवार अलेक्जेंडर डंकन ने इस प्रतिमा को झूठा हिंदू भगवान बताकर सोशल मीडिया पर बयान दिया।
उसके बाद अमेरिका में धार्मिक स्वतंत्रता और सहिष्णुता पर नई बहस छिड़ गई। डंकन ने बाइबल का हवाला देते हुए मूर्तिपूजा का विरोध किया। उन्होंने कहा कि हम एक क्रिश्चियन नेशन हैं, लेकिन उनके बयान को हिंदू संगठनों और सोशल मीडिया यूजर्स ने भड़काऊ बताया है।
डंकन ने स्टैच्यू ऑफ यूनियन का वीडियो शेयर करते हुए सवाल उठाया कि टेक्सास में झूठी प्रतिमा को क्यों अनुमति दी जा रही है। उन्होंने एक्सोडस 20:3-4 का हवाला दिया, जिसमें दूसरे भगवान या मूर्ति पूजा को प्रतिबंधित करने का संदेश है। यह बयान तेजी से वायरल हो रहा है। उनकी आलोचना हो रही है।
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन (HAF) ने टेक्सास रिपब्लिकन पार्टी को औपचारिक शिकायत दर्ज कराते हुए कार्रवाई की मांग की। HAF ने कहा कि यह बयान पार्टी के भेदभाव-विरोधी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता है। यह अमेरिकी संविधान के प्रथम संशोधन की भी अवहेलना करता है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने डंकन को धार्मिक स्वतंत्रता का मतलब समझने की नसीहत दी।
कई यूजर्स ने डंकन को याद दिलाया कि अमेरिका का संविधान हर धर्म को समान स्वतंत्रता देता है। कुछ ने लिखा कि वैदिक ग्रंथ ईसाई धर्म से हजारों साल पहले के हैं। इनका अध्ययन करना ईसाई परंपराओं को समझने के लिए जरूरी है। लोगों ने कहा कि विविधता ही अमेरिका की असली ताकत है।
स्टैच्यू ऑफ यूनियन को 2024 में श्री चिन्नजीयर स्वामीजी ने डिजाइन किया था। यह प्रतिमा अमेरिका की तीसरी सबसे ऊंची मूर्ति है। उत्तर अमेरिका में भगवान हनुमान की सबसे विशालकाय प्रतिमा मानी जाती है। यह भारतीय मूल के प्रवासी समुदाय की आस्था और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।
Why are we allowing a false statue of a false Hindu God to be here in Texas? We are a CHRISTIAN nation!pic.twitter.com/uAPJegLie0
— Alexander Duncan (@AlexDuncanTX) September 20, 2025
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब एच-1बी वीजा शुल्क वृद्धि जैसी नीतियों ने भारतीय पेशेवरों के बीच असुरक्षा बढ़ाई है। सोशल मीडिया पर कुछ समूहों ने इसे हिंदू और भारतीय समुदाय के खिलाफ उभरते पूर्वाग्रह का उदाहरण बताया। बावजूद इसके अमेरिका में बहुसंख्यक नागरिकों ने धार्मिक स्वतंत्रता के पक्ष में आवाज बुलंद कर कहा कि विविधता ही लोकतंत्र की बुनियाद है।