डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। फ्रांस की राजधानी पेरिस के मशहूर लूव्र म्यूजियम में रविवार को चोरों ने 7 मिनट में डिस्क कटर से सेंध लगाकर बेशकीमती गहने चुरा लिए। लूव्र म्यूजियम में चोरी का इतिहास नया नहीं है - 1911 में यहां से लियोनार्डो दा विंची की मोना लिसा भी चुरा ली गई थी, जो दो साल बाद बरामद हुई।
इतिहास की सबसे बड़ी चोरियों में 1990 की घटना शामिल है, जब अमेरिका के इसाबेला स्टीवर्ट गार्डनर संग्रहालय, बोस्टन में दो चोर पुलिस वर्दी में घुसे और वर्मीर, रेम्ब्रांट, डेगास की 13 उत्कृष्ट कृतियां लेकर फरार हो गए जो अब तक नहीं मिलीं।
2002 में नीदरलैंड के वान गॉग म्यूजियम से “व्यू ऑफ द सी एट शेवेनिंगेन” और “कॉन्ग्रिगेशन लीविंग द रिफॉर्म्ड चर्च इन नुएनेन” जैसी दो पेंटिंग्स चोरी हुईं, जो 14 साल बाद इटली से बरामद हुईं। वहीं 1994 में नॉर्वे की नेशनल गैलरी से एडवर्ड मंच की “द स्क्रीम” चोरी हुई और तीन महीने बाद वापस मिली।
2019 में जर्मनी के ग्रीन वॉल्ट म्यूजियम, ड्रेसडेन से 18वीं सदी के 21 कीमती आभूषण, जिनकी कीमत 98 मिलियन यूरो से अधिक थी, चोरी हो गए। इसी तरह, 1972 में मॉन्ट्रियल म्यूजियम ऑफ फाइन आर्ट्स से रेम्ब्रांट की 18 पेंटिंग्स चुरा ली गईं, जिनमें से सिर्फ एक अब तक मिली।
लंदन की डुलविच पिक्चर गैलरी में रेम्ब्रांट की एक ही पेंटिंग 17 साल में चार बार चोरी हुई। वहीं पेरिस के म्यूजी डी'आर्ट मॉडर्न में 2010 में “स्पाइडर-मैन” नाम से मशहूर चोर ने पांच मास्टरपीस चुरा लिए, जो आज भी गायब हैं। इतिहास गवाह है कि चाहे काहिरा, ऑक्सफोर्ड या मैनचेस्टर, दुनिया के सबसे सुरक्षित संग्रहालय भी कला चोरों के सामने असुरक्षित साबित हुए हैं।
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