डिजिटल डेस्क, इंदौर: नेपाल में पिछले दिनों हुए जेन-जी विरोध प्रदर्शन और हिंसा ने वहां की राजनितिक परिस्थितियों को बदल कर रख दिया है। नेपाल में केपी शर्मा ओली की सरकार गिर गई है। उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और देश की पार्लियामेंट को भंग कर दिया है। पिछले दिनों हुई हिंसा ने बाद नेपाल में शांति बहाल हो रही है। आदोलनकारियों की इच्छा के अनुसार की पूर्व चीफ जस्टिस रहीं सुशीला कार्की ने नेपाल के अंतरिम प्रधानमंत्री का पद ग्रहण कर लिया है।
अपने कार्यकाल के दौरान सुशीला कार्की ने नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ कई बड़े फैसले दिए थे। वह नेपाल की एक चर्चित न्यायाधीश और लेखिका हैं, जिन्हें जेन-जी विद्रोहियों का समर्थन मिला है। 5000 से ज्यादा लोगों की बैठक में ज्यादातर जेन-जी युवाओं ने सुशीला कार्की को सत्ता की बागडोर सौंपने को लेकर सहमती जताई है।
73 वर्ष की आयु में नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बनी सुशीला कार्की का भारत के साथ भी बहुत बड़ा संबंध है। उन्होंने भारत के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से 1975 में राजनीतिक विज्ञान की डिग्री हासिल की है। इतना ही नहीं उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण लोगों में से एक उनके पति से भी उनकी मुलाकात भारत के बीएचयू में पढ़ने के दौरान ही हुई।
बीएचयू में पढ़ने के दौरान सुशीला कार्की की मुलाकात नेपाल के ही दुर्गा प्रसाद सुबेदी के साथ हुई थी। बाद में चलकर उन्होंने दुर्गा प्रसाद के साथ विवाह किया। दुर्गा प्रसाद सुबेदी नेपाली कांग्रेस के मशहूर नेता बने।
बता दें कि सुशीला कार्की का जन्म 1952 में नेपाल के विराटनगर में हुआ था। उनके पिता पेशे से किसान थे। वह 7 भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। अपनी स्कूली पढ़ाई के बाद उन्होंने 1971 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय के महेंद्र मोरंग से स्नातक की डिग्री हासिल की। फिर पॉलिटिकल साइंस की डिग्री उन्होंने भारत से ली। 1978 में उन्होंने लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद विराटनगर से ही वकालत की प्रेक्टिस शूरू की।
अपने कार्यकाल के दौरान सुशीला कार्की ने नेपाल में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाई। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भी कड़े निर्णय लिए थे। कार्की 2009 में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं थी। 2016 में सुशीला कार्की दोबारा नेपाल की मुख्य न्यायाधीश चुनी गई। इस दौरान शेरबहादुर देउबा सरकार ने उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया था, जिसे बाद में वापस ले लिया गया।
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अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ लिए गए उनके फैसलों के कारण ही देश के जेन-जी युवा आंदोलनकारियों की पहली पसंद बनी सुशीला कार्की।