एजेंसी, नई दिल्ली: इजरायल और हमास के बीच जारी 23 महीने पुराना संघर्ष (Israel-Hamas War) अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचता दिख रहा है। इजरायली सेना ने गाजा सिटी में रह रहे लाखों फलस्तीनियों को शहर छोड़कर दक्षिणी भाग में बनाए गए सुरक्षित क्षेत्र में जाने का निर्देश दिया है। सेना का उद्देश्य शहर को आम नागरिकों से खाली करवाकर हमास के खिलाफ सीधी और निर्णायक कार्रवाई करना है। हालांकि बड़ी संख्या में लोग अपने घर-शहर को छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
गाजा पट्टी का सबसे बड़ा शहर गाजा सिटी लंबे समय से इस संघर्ष का केंद्र बना हुआ है। इजरायली सेना का दावा है कि उसने हाल के हफ्तों में शहर के बाहरी इलाकों पर नियंत्रण कर लिया है, लेकिन घनी आबादी वाला मध्य भाग अब भी उसके कब्जे से बाहर है। यही वह क्षेत्र है जहां हमास की मजबूत पकड़ मानी जाती है। सेना को संदेह है कि हमास ने इसी इलाके में 48 बंधकों को छिपाकर रखा है, जिनमें से लगभग 20 के जीवित होने की संभावना जताई जा रही है।
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा सिटी पर स्थायी कब्जा करने और उसकी सुरक्षा का पूर्ण दायित्व इजरायल द्वारा संभालने की घोषणा की है। इसी निर्देश के बाद इजरायली सेना ने हाल के हफ्तों में गाजा सिटी पर हवाई और जमीनी हमले तेज कर दिए हैं। बाहरी इलाकों के अधिकांश लोग सुरक्षा के कारण पलायन कर चुके हैं, लेकिन शहर के मध्य भाग में लाखों लोग अब भी फंसे हुए हैं। इजरायली सेना की घेराबंदी के चलते उन्हें खाद्य सामग्री और जरूरी सामान तक नहीं मिल पा रहा है।
नेतन्याहू की इस घोषणा और सेना के आदेश की मिस्र और कतर जैसे मध्यस्थ देशों ने कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि फलस्तीनियों को शहर छोड़ने के लिए मजबूर करना मानवीय संकट को और बढ़ाएगा।
इस बीच, 23 महीने से जारी संघर्ष में अब तक 64 हजार से अधिक फलस्तीनी इजरायल के हमलों में मारे जा चुके हैं। वहीं, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उनके अधिकारी हमास के साथ गंभीर वार्ता कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इन वार्ताओं का परिणाम गाजा के भविष्य को तय करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
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