एजेंसी, नईदिल्ली: नेपाल इन दिनों बड़े संकट (Nepal Protests 2025) से गुजर रहा है। सोशल मीडिया बैन के खिलाफ लाखों युवा सड़कों पर उतर आए हैं। इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं सुदन गुरुंग (Sudan Gurung), जिन्होंने ‘हामी नेपाल’ (Hami Nepal) संगठन के माध्यम से युवाओं को एकजुट किया। आंदोलन के दौरान अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से अधिक घायल हैं। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार पर दबाव बढ़ गया और मंत्रिमंडल से अब तक तीन मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं।
नेपाल में पहले से ही भ्रष्टाचार, आर्थिक असमानता और कुप्रशासन को लेकर गुस्सा उबाल कर रहा था। लेकिन सरकार की ओर से सोशल मीडिया बैन लगाने के फैसले ने युवाओं को भड़का दिया। सुदन गुरुंग जो कभी इवेंट मैनेजमेंट में काम करते थे, 2015 के विनाशकारी भूकंप के बाद सामाजिक कार्यों से जुड़े और ‘हामी नेपाल’ संगठन की स्थापना की। इस संगठन ने युवाओं को आवाज दी और उन्हें एक मंच पर जोड़ा।
8 सितंबर को गुरुंग ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हुए युवाओं से सड़कों पर उतरने का आह्वान किया। उन्होंने लिखा –
“भाइयों और बहनों, 8 सितंबर वो दिन है जब नेपाल के युवा उठेंगे और कहेंगे कि अब बहुत हो गया। ये हमारी लड़ाई है और हम ही इसे लड़ेंगे।” इस पोस्ट ने युवाओं में जोश भर दिया और देखते ही देखते लाखों लोग काठमांडू और अन्य इलाकों की सड़कों पर उतर आए।
प्रदर्शनकारियों ने वीपीएन का इस्तेमाल कर एक-दूसरे से संपर्क साधा और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। हालात तब बिगड़े जब पुलिस और सुरक्षा बलों ने बल प्रयोग किया। झड़पों में 20 लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा घायल हो गए।
इस हिंसा और बढ़ते आक्रोश के कारण पहले गृह मंत्री रमेश लेखक, फिर स्वास्थ्य मंत्री और अब कृषि एवं पशुपालन विकास मंत्री रामनाथ अधिकारी ने इस्तीफा दे दिया। अधिकारी ने कहा –
“हिंसा ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या मौजूदा सरकार अधिनायकवाद की ओर बढ़ रही है। ऐसे में पद पर बने रहना उचित नहीं।”
सोमवार और मंगलवार को राजधानी काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर जिलों में लगातार विरोध प्रदर्शन हुए। हालात काबू में लाने के लिए प्रशासन ने अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया। कर्फ्यू के दौरान लोगों की आवाजाही, सभाएं, धरने और रैलियां पूरी तरह प्रतिबंधित कर दी गईं।
हालांकि जरूरी सेवाओं जैसे एम्बुलेंस, अग्निशमन, शव वाहन, स्वास्थ्यकर्मी, पत्रकार, पर्यटक और राजनयिक मिशनों के वाहनों को छूट दी गई है।
नेपाल के युवाओं का कहना है कि सरकार बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और असमानता के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सोशल मीडिया बैन का सहारा ले रही है। लोग प्रधानमंत्री ओली को ‘हत्यारी सरकार’ कहकर संबोधित कर रहे हैं। वहीं, ओली ने बयान जारी कर कहा कि प्रदर्शनों में “अवांछित तत्वों” की घुसपैठ हुई है, जिसके कारण हिंसा भड़की।
हिंसा और कर्फ्यू के कारण बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक नेपाल से वापस लौट रहे हैं। रक्सौल में भारत-नेपाल मैत्री पुल के पास पुलिस ने आवाजाही बंद कर दी है।
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