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डिजिटल डेस्क। बंटवारे के दशकों बाद पाकिस्तान में एक ऐतिहासिक अकादमिक पहल हुई है। लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज (LUMS) ने संस्कृत का चार क्रेडिट का औपचारिक पाठ्यक्रम शुरू किया है। पाकिस्तान के किसी प्रमुख विश्वविद्यालय में इस प्राचीन भाषा को मुख्यधारा के पाठ्यक्रम में शामिल करने का यह पहला बड़ा मामला है।
विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि संस्कृत किसी विशिष्ट धर्म की भाषा मात्र नहीं है, बल्कि यह पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र की साझा सभ्यतागत और सांस्कृतिक विरासत है। समाजशास्त्र के प्रोफेसर शाहिद रशीद, जिनकी इस पहल में महत्वपूर्ण भूमिका रही है, के अनुसार इसे अकादमिक रूप से समझना बेहद जरूरी है। विश्वविद्यालय का तर्क है कि स्थानीय स्तर पर संस्कृत का ज्ञान होने से पाकिस्तान में मौजूद समृद्ध लेकिन उपेक्षित ऐतिहासिक दस्तावेजों को समझने में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, पंजाब यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में संस्कृत की सैकड़ों दुर्लभ ताड़पत्र पांडुलिपियां सुरक्षित हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि स्थानीय छात्र और शोधकर्ता संस्कृत सीखेंगे, तो इन पांडुलिपियों पर वैज्ञानिक शोध संभव हो सकेगा।
इतना ही नहीं, LUMS प्रशासन भविष्य में महाभारत और भगवद् गीता जैसे महान ग्रंथों पर भी विशेष पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी कर रहा है। विश्वविद्यालय का उद्देश्य विद्यार्थियों को दक्षिण एशिया की ऐतिहासिक जड़ों और साहित्यिक परंपराओं से जोड़ना है। इस कदम को शिक्षा जगत में एक सकारात्मक और समावेशी बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
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