डिजिटल डेस्क। साल 2025 के नोबल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize 2025) का एलान हो गया है। इस शांति पुरस्कार नेजुएला की मारिया कोरिना मचाडो (Maria Corina Machado) को सम्मानित किया गया है। इस साल के नोबल पुरस्कार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को कई देशों ने नामांकित किया था। हालांकि, उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया।
मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार, वेनेजुएला के लोगों के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने के उनके अथक कार्य और तानाशाही से लोकतंत्र में न्यायपूर्ण और शांतिपूर्ण संक्रमण प्राप्त करने के उनके संघर्ष के लिए दिया जाएगा।
मारिया कोरिना मचाडो 2011 से 2014 तक वेनेजुएला की राष्ट्रीय सभा की निर्वाचित सदस्य के रूप में काम कर चुकी हैं। वह वेनेजुएला की वर्तमान सरकार के खिलाफ लोकतांत्रिक आंदोलन का नेतृत्व कर रही हैं, मारिया का जन्म 7 अक्टूबर 1967 को हुआ था और वे एक औद्योगिक इंजीनियर हैं, वर्तमान में वह विपक्ष की नेता हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार पाने की कोशिश में लगे हुए थे। इसके लिए ट्रंप ने न सिर्फ इच्छा जाहिर की है, बल्कि उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति की आलोचना की है। ट्रंप ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को यह पुरस्कार बिना किसी वजह मिला था।
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए, गाजा में शांति स्थापित करने और "आठ युद्धों" को समाप्त करने में अपनी उपलब्धि का बखान किया। हालांकि, उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने यह सब किसी पुरस्कार के लिए नहीं किया।
ट्रंप ने कहा कि 'मैंने आठ युद्ध रोके हैं, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। लेकिन नोबेल पुरस्कार देने वाली समिति को जो करना है, वो करेंगे। वे जो भी करेंगे, ठीक है। मैं यह जानता हूं कि मैंने ये कोई पुरस्कार पाने के लिए नहीं किया, मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि मैंने बहुत से लोगों की जान बचाई।'
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बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अक्सर अपने व्यक्तिगत प्रभाव को बढ़ा-चढ़ाकर बताते रहे हैं। पिछले ही महीने उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन में दावा करते हुए खुद को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित कर लिया था। इस दौरान ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने "सात अंतहीन युद्धों को समाप्त कर दिया है।" हैरानी की बात यह कि जिन देशों में युद्ध विराम का श्रेय ट्रंप ने लिया, उसमें युद्ध विराम कराने में उनकी भूमिका पर संबंधित देशों ने विवाद खड़ा किया है।