एजेंसी, नई दिल्ली। चीन से बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका अपनी नौसैनिक ताकत को और आधुनिक बनाने की दिशा में काम कर रहा है। पेंटागन का लक्ष्य है कि एक ऐसा ड्रोन फ्लीट तैयार किया जाए जो पूरी तरह स्वायत्त हो और बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के युद्ध में इस्तेमाल हो सके। लेकिन हालिया परीक्षणों ने इस योजना की चुनौतियों को उजागर कर दिया है।
पिछले महीने कैलिफोर्निया तट पर अमेरिकी नौसेना द्वारा किए गए परीक्षण में तकनीकी गड़बड़ी सामने आई। परीक्षण के दौरान एक ड्रोन जहाज अचानक रुक गया। जब अधिकारी सॉफ्टवेयर की खामी ठीक कर रहे थे, तभी दूसरा ड्रोन आकर उससे टकरा गया। इससे परियोजना की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए।
कुछ हफ्ते पहले हुए एक अन्य परीक्षण में भी समस्या सामने आई थी। उस समय एक सहायक नाव को खींच रहे पोत ने अचानक गति पकड़ ली, जिससे नाव का कप्तान पानी में गिर गया। हालांकि समय रहते उसे बचा लिया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों घटनाएं सॉफ्टवेयर समस्याओं और मानवीय त्रुटियों के कारण हुईं। नौसेना ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यूक्रेन युद्ध में समुद्री ड्रोनों के बड़े पैमाने पर उपयोग ने इस तकनीक की उपयोगिता साबित कर दी है। ड्रोन स्पीडबोट की तरह दिखते हैं और हथियार, विस्फोटक तथा निगरानी उपकरण ले जाने में सक्षम होते हैं। यही कारण है कि अमेरिका ताइवान स्ट्रेट में चीन की बढ़त को रोकने के लिए स्वायत्त ड्रोन झुंडों पर जोर दे रहा है।
अमेरिकी रणनीति है कि आने वाले वर्षों में एक ऐसा नौसैनिक बेड़ा तैयार किया जाए, जो बड़े पैमाने पर स्वायत्तता के साथ दुश्मन को चुनौती दे सके। हालांकि, मौजूदा तकनीकी खामियां इस महत्वाकांक्षी योजना के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा बनी हुई हैं।
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