डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच युद्धविराम के बावजूद तनाव थमा नहीं है। दोनों ओर से छिटपुट झड़पों की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। इस पूरे विवाद के बीच एक नाम बार-बार उभर रहा है - नूर वली महसूद, जिसे पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड बताता है।
हाल ही में हुए हवाई हमलों के बाद एक बार फिर यह सवाल उठने लगा है कि आखिर पाकिस्तान का यह जानी दुश्मन है कौन और क्यों इसे खत्म करना इतना जरूरी माना जा रहा है?
पाकिस्तान ने अफगान सीमा के पास कई बार एयरस्ट्राइक की हैं। पिछले हफ्ते काबुल में हुए हवाई हमले में एक कार को निशाना बनाया गया, जिसमें माना गया कि नूर वली महसूद सवार था। हालांकि चरमपंथी सूत्रों के अनुसार, वह इस हमले से बच निकला। पाकिस्तान ने आधिकारिक तौर पर इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।
वहीं अफगानिस्तान की सत्ता संभाल रहे तालिबान ने पाकिस्तानी आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि वे टीटीपी (TTP) के किसी भी आतंकी को पनाह नहीं दे रहे। उल्टे तालिबान ने पाकिस्तान पर इस्लामिक स्टेट (IS) के लड़ाकों को शरण देने का आरोप लगाया है।
नूर वली महसूद का जन्म 26 जून 1978 को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुआ था। वह मेहसूद कबीले के मेचीखेल उप-कबीले से जुड़ा है। उसने अपनी शुरुआती शिक्षा मदरसा सिद्दीकिया उस्पास से प्राप्त की। एक आम नागरिक से उग्रवादी बने नूर वली ने बाद में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) में अहम भूमिका निभाई। साल 2018 में, TTP के पूर्व प्रमुख फजलुल्लाह की मौत के बाद नूर वली महसूद को संगठन का नया सरगना बना दिया गया।
पाकिस्तान के मुताबिक, 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद से TTP की ताकत कई गुना बढ़ गई। अफगानिस्तान में मौजूद हथियारों और संसाधनों तक पहुंच मिलने से इसका प्रभाव सीमावर्ती इलाकों में तेजी से बढ़ा।
पहले TTP मस्जिदों और बाज़ारों जैसे नागरिक ठिकानों पर हमले करती थी। इनमें 2014 का पेशावर स्कूल हमला भी शामिल है, जिसमें 130 से अधिक बच्चों की जान गई थी।
हालांकि, नूर वली महसूद के नेतृत्व में TTP ने रणनीति बदली। उसने अपने लड़ाकों को केवल सेना और पुलिस को निशाना बनाने का निर्देश दिया ताकि आम जनता के बीच आक्रोश न फैले।
इस साल की शुरुआत में जारी एक वीडियो संदेश में नूर वली महसूद ने पाकिस्तानी सेना को 'इस्लाम विरोधी' बताया और कहा कि जनरल पिछले 79 सालों से पाकिस्तान के लोगों का अपहरण कर रहे हैं। वहीं, पाकिस्तानी सेना का दावा है कि TTP को भारत का समर्थन प्राप्त है - हालांकि भारत इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज करता आया है।
नूर वली महसूद और TTP के बढ़ते प्रभाव ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की कूटनीतिक दूरी को और गहरा कर दिया है। पाकिस्तान बार-बार सीमापार हमलों की धमकी दे रहा है, जबकि तालिबान सरकार कहती है कि वह अपनी धरती से किसी को हमला नहीं करने देगी। दोनों देशों के बीच यह रस्साकशी न केवल क्षेत्रीय शांति को प्रभावित कर रही है, बल्कि दक्षिण एशिया की सुरक्षा स्थिति पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर रही है।
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